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अब चूहों-खरगोशों की भी होने लगी नसबंदी, जानिए पूरा मामला

कानपुर। अभी तक तो आपने इंसानों की नसबंदी (sterilization of humans) होने की खबरें सुनीं होंगी, लेकिन अब कुत्ते और बिल्लियों के बाद पालतू चूहों और खरगोशों की भी नसबंदी (Vasectomy) होने लगी है।

आपको बता दें कि यूपी के कानपुर में पशु चिकित्सकों ने पांच सर्जरी की है। स्वरूप नगर में रहने वाली दो बहनें ओजस्विता सिंह और अनुष्का सिंह ने ही अब तक चार खरगोश और दो चूहों की सर्जरी करवाकर यूट्रस निकलवाया है। वहीं,मेल चूहों और खरगोशों की नसबंदी भी करवा चुकी हैं। इसी तरह श्याम नगर की संध्या सिंह भी अपने पालतू खरगोश की सर्जरी कराई और यूट्रस निकलवा दिया। अनुष्का सिंह कहती हैं कि उनके पास 22 खरगोश और सफेद चूहे हैं। इनकी संख्या ज्यादा न हो इसके लिए मेल और फीमेल को अलग रखना पड़ता है। विशेष ख्याल करना होता है। 28 दिन में ही दो से 13 बच्चे पैदा हो जाते हैं इसलिए फैमिली प्लानिंग करनी पड़ी। एक चूहे के यूट्रस में ट्यूमर था।

आपको बता दें कि खरगोश का प्रजनन काल सिर्फ 30 दिन होता है। इसलिए इनकी जनसंख्या तेजी से बढ़ती है। इनकी जनसंख्या वृद्धि रोकने नर खरगोश की नसबंदी सबसे सरल उपाय है।

 

एडवाइजरी बोर्ड मेंबर अवध प्रैक्टिशनर एसोसिएशन, डॉ. कुलदीप गौतम ने कहा कि लोगों में पालतू चूहों और खरगोशों की फैमिली प्लानिंग का क्रेज बढ़ा है। इनकी संख्या तेजी से बढ़ना भी एक वजह है। एक बार में 13 बच्चे तक पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इन्हें संभाल पाना कठिन हो जाता है। फीमेल खरगोश और चूहों के यूट्रस में होने वाले रोगों से भी बचाया जा सकता है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी नगर निगम, डॉ. आरके निरंजन ने कहा कि खरगोश और चूहे पालना आसान नहीं है। खुले वातावरण में इन्हें रखना होता है। ऐसे में कभी भी इनकी फीमेल गर्भधारण कर सकती है। संख्या न बढ़े इसके लिए फैमली प्लानिंग जरूरी है। इनके यूट्रस में भी कई रोग हो जाते हैं,जिससे इन्हें बचाने के लिए लोग सर्जरी कराने लगे हैं।

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