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बलात्कार की पुष्टि के लिए ‘टू-फिंगर टेस्ट’ महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलात्कार की पुष्टि के लिए ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षण के तरीके को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और अधिकारयों से इस तरह के टेस्ट करने पर कड़ा ऐक्शन लेने को कहा है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा एक बलात्कार और हत्या के दोषी को बरी करने के फैसले को पलटते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बलात्कार पीड़िताओं की जांच के लिए दो अंगुलियों की जांच की प्रथा अभी भी समाज में प्रचलित है।

पीठ ने इस परीक्षण को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा, “टू-फिंगर टेस्ट को एक महिला की निजता का उल्लंघन है। योनि की शिथिलता का परीक्षण करने वाली प्रक्रिया महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। यह नहीं कहा जा सकता है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है।”

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए और राज्यों के डीजीपी और स्वास्थ्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ‘टू-फिंगर टेस्ट’ न हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट कराने वाले किसी भी व्यक्ति को कदाचार का दोषी माना जाएगा।

साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम से टू-फिंगर टेस्ट पर अध्ययन सामग्री को हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।

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