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कूनो लाए गए नामीबिया के 2 चीतों का क्वारंटाइन खत्म

श्योपुर । मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो पालपुर अभ्यारण्य में लाए गए 8 चीतों की क्वारंटाइन अवधि अब खत्म हो गई है। अब इन  चीतों को अभयारण्य में छोडना प्रारंभ कर दिया गया है। कल दो चीतों को अभयारण्य में छोडा गया। अन्य 6 को भी अगले कुछ दिनों में क्वारंटीन बाड़े से आजाद कर दिया जाएगा। इस बारे में पीएम ने ट्वीट किया, ‘अच्छी खबर है!  मुझे बताया गया है कि अनिवार्य क्वारंटीन के बाद, 2 चीतों को कुनो निवास स्थान में और अनुकूलन के लिए एक बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है। अन्य को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। यह जानकर भी खुशी हुई कि सभी चीते स्वस्थ और सक्रिय हैं, कूनो नेशनल पार्क की जलवायु के साथअच्छी तरह से तालमेल बिठा रहे हैं।’भारत में ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत 8 नामीबियाई चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। खुद प्रधानमंत्री ने इन्हें बाड़े में छोड़ा था। अब दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है, जो और बड़े एरिया में आसानी से घूम फिर पाएंगे। दरअसल, नामीबिया और भारत की जलवायु में अंतर होने के कारण इन चीतों को पहले कुछ दिन निगरानी में रखा गया था और यह इंतजार किया जा रहा था कि ये कूनो नेशनल पार्क के वातावरण में सेटल हो जाएं।कूनो के एक अधिकारी ने कहा कि चीता बोमास या बड़े बाड़ेमें स्थानांतरित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, जहां वे शिकार का अभ्यास कर सकते हैं। वे एक या दो महीने के लिए बोमास में रहेंगे और फिर मुख्य पार्क में छोड़ दिए जाएंगे। यह महत्वपूर्ण है कि वे शिकार का अभ्यास करें और नई शिकार प्रजातियों के अभ्यस्त हों। हम निगरानी करेंगे कि वे नई शिकार प्रजातियों को पसंद कर रहे हैं या अभ्यस्त हो रहे हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने सितंबर में कहा था कि चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर आदि के साथ कूनो में चीतों के लिए अच्छा शिकार आधार है। एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव ने कहा कि अफ्रीका में चीते इम्पाला, गजेल्स जैसे वन्य जीवों का शिकार करते हैं, जो बहुत तेज होते हैं। इसकी तुलना में भारतीय वन्य जीवों का शिकार करना चीतों के लिए आसान होगा।देश में लंबे वक्त के बाद चीतों की वापसी हुई है, उनसे लोगों को परिचित कराने के लिए केंद्र सरकार ने लोगों से चीतों का नाम बदलने के लिए सुझाव भेजने की अपील की थी, जिसकी समय सीमा गत 31 अक्टूबर को खत्म हुई। रविवार तक चीतों के लिए 10,857 नाम सुझाए गए थे और भारत में चीता परियोजना के नामकरण पर 16,670 सुझाव दिए गए थे। वर्तमान में 8 चीतों के नाम एल्टन, फ्रेडी, ओबन, साशा, सियाया, सवाना त्बिलिसी और आशा हैं।
आठवें मादा चीते को खुद पीएम मोदी ने आशा नाम दिया था, उसका पहले से कोई नाम नहीं था, क्योंकि उसे नामीबिया के जंगलों से भारत लाने के कुछ ही वक्त पहले पकड़ा गया था। अभयारण्य में खुला छोड देने से ये चीते 50 दिन बाद अब शिकार भी कर पाएंगे, क्योंकि पार्क में चीतों के शिकार के लिए चीतल, हिरण जैसे जानवर मौजूद रहेंगे। कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने बताया कि अभी 2 नर चीते बड़े बाड़े में रिलीज किए गए हैं, अन्य को भी जल्द बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा।

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