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यूनियन बैंक के मैनेजर ने ओएमपी एसोसिएट्स के संचालक के साथ मिलकर 21 हितग्राहियों के नाम पर करोड़ों रुपए लोन निकालकर किया गबन..!

जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया विजय नगर के तत्कालीन शाखा प्रबंधक कमलकुमार मिश्रा ने ओएमपी एसोसिएट के संचालक सचिन पटेल के साथ मिलकर 1 करोड़ 70 लाख 80 हजार रुपए का गबन किया. दोनों ने 21 हितग्राहियों के नाम पर लोन स्वीकृत करके ओएमपी एसोसिएट के सचिन मिश्रा सहित अन्य लोगों के खातों में ट्रांसफर कर हड़पी. इस मामले की शिकायत मिलने पर जबलपुर ईओडब्ल्यू डीएसपी मंजीत सिंह ने जांच कर प्रकरण दर्ज किया है.

इस संबंध में ईओडब्ल्यू डीएसपी मंजीत सिंह ने आगे बताया कि सचिन पटेल प्रोप्राइटर ओएमपी एसोसिएट्स जबलपुर एवं कमल कुमार मिश्रा तत्कालीन शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा विजयनगर जबलपुर द्वारा मिलीभगत कर षडयंत्रपूर्वक विभिन्न हितग्राहियों को 10-10 लाख रुपए का लोन दिलाने के नाम पर लोन फार्म भरवाकर कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए. हितग्राहियों के आधार कार्ड, पेन कार्ड, फोटो इत्यादि लेकर उनका उपयोग कर कूटरचित दस्तावेज, किरायानामा, लोन स्वीकृति के पूर्व एवं लोन स्वीकृति के पश्चात की शाखा प्रबंधक कमल कुमार मिश्रा की कूटरचित रिपोर्ट के आधार पर उनके नाम के 10-10 लाख रुपए लोन स्वीकृत कराए.  लोन की स्वीकृत राशि में से 1,70,80000 रुपए बिना ट्रांसफर वाउचर, बिना हस्ताक्षरित ट्रांसफर वाउचर से तत्काल ओएमपी एसोसिएट्स संगीता पटेल, सचिन पटेल, पिंकी विश्वकर्मा एवं अन्य के विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर इस राशि गबन किया. जांच पर कमल कुमार मिश्रा तत्कालीन शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा विजयनगर जबलपुर, सचिन पटेल प्रोप्राइटर ओएमपी एसोसिएट्स जबलपुर, संगीता पटेल, पिंकी विश्वकर्मा, प्रियम तिवारी एवं अन्य के विरूद्ध अपराध धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी भादवि एवं धारा 7 (सी) अनिअ 1988 संशो 2018 का अपराध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. अब तक 21 हितग्राहियों की ऋण राशि को गबन करने के साक्ष्य प्राप्त हुए है.

और भी हितग्राहियों के नाम पर निकाले है रुपए-

जबलपुर ईओडब्ल्यू डीएसपी मंजीत सिंह ने बताया कि अभी तक 21 हितग्राहियों के बारे में पता चला है, ऐसे और भी कई हितग्राही है जिनके नाम पर तत्कालीन शाखा प्रबंधक कमल कुमार मिश्रा व सचिन पटेल प्रोप्राइटर ओएमपी एसोसिएट्स ने मिलकर 10 से 25 लाख रुपए का लोन स्वीकृत किया. इसके बाद लोन की उक्त राशि का गबन किया है. राशि और भी अधिक होने की संभावना है जिसके संबंध में जांच की जा रही है.

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