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गरुड़ पुराण: मृत्यु के बाद शव को नहीं छोड़ना चाहिए अकेला, जानिए क्या है इसके पीछे मुख्य वजह?

जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके दाह संस्कार को लेकर कुछ नियम होते हैं. जिनका पालन करना अनिवार्य माना गया है. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार सूर्यास्त से पहले किया जाता है और घर का बड़ा बेटा ही दाह संस्कार कर सकता है. इसके अलावा आपने देखा होगा कि कभी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता और गरुड़ पुराण के इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजह हो जाती है. आइए जानते हैं गरुड़ पुराण के मुताबिक शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए.

इसलिए नहीं छोड़ते शव को अकेला

  1. गरुड़ पुराण के मुताबिक मृत्यु के बाद शव को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. खासतौर पर रात के समय शव को अकेला छोड़ने की वजह से बड़ी परेशानी हो सकती है. क्योंकि रात को बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं और मृतक के शरीर के प्रवेश कर सकती हैं. इसकी वजह से परिवार के सदस्यों को संकट झेलना पड़ सकता है.
  2. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृतक की आत्मा दाह संस्कार तक मृत्यु के आस-पास ही रहती है और वापस अपने शरीर में प्रवेश करना चाहती है. क्योंकि मृत्यु के बाद भी आत्मा का शरीर से जुड़ाव रहता है. इसलिए शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता.
  3. इसके अलावा गरुड़ पुराण में दी गई जानकारी के अनुसार अगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसके आस-पास चीटियां या कीड़े-मकौड़े आने का डर रहता है. इसलिए कभी भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता और कोई न कोई शव के पास हमेशा बैठा रहता है.
  4. कहा जाता है कि रात के समय तांत्रिक क्रियाएं अधिक की जाती है और अगर रात के समय शव को अकेले छोड़ दिया जाए तो मृत आत्मा संकट में आ सकती है. इसलिए कभी भूलकर भी शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.
  5. गरुड़ पुराण के मुताबिक शव से निकलने वाली गंध की वजह से कई तरह के बैक्टीरिया पनपते हैं. इसी वजह से कोई न कोई शव के पास हमेशा बैठा रहता है और वहां अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाकर रखते हैं.

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