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क्या 40 की उम्र में पुश-अप्स करने से कम हो जाता है हार्ट अटैक का खतरा? जानें क्‍या कहती है रिसर्च

आए दिन जिस तरह से देश और दुनिया में हार्ट अटैक (heart attack) और कार्डिएक अरेस्ट से लोगों की मौत हो रही है, उससे हेल्थ एक्सपर्ट भी चिंतित है. हार्ट अटैक के लक्षण पहले से बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है, इसलिए लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता लेकिन छोटे-छोटे लक्षणों को नजरअंदाज अचानक(Suddenly) एक दिन भारी पड़ जाता है. चिंता इसलिए ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि आजकल 30 से 40 की उम्र में हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट (cardiac arrest) से लोगों की मौत के मामले बढ़ गए हैं. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि 30 से 40 की उम्र में रोजाना किए गए पुश-अप्स (Push-ups) हार्ट अटैक जैसे जोखिमों को बहुत कम कर सकता है.

एक्‍सपर्ट कहते हैं कि पुश अप्स से शरीर के अधिकांश मसल्स पर दबाव पड़ता है, इसलिए उनमें लचीलापन बढ़ जाता है और मसल्स के फंक्शन में यह ज्यादा असरदार हो जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि पुश-अप्स करने के लिए बहुत ज्यादा जिम वाली चीजों की जरूरत भी नहीं पड़ती. इसे आसानी से घर में भी किया जा सकता है. इससे शरीर के कई अंगों में मजबूती आती है. हालांकि इसमें थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत है. पुश अप्स लगाने से पहले एक बार ट्रेड मिल टेस्ट जरूर करा लें ताकि यह पता चल सके कि पुश अप्स के दौरान आपके हार्ट में किसी तरह के नकारात्मक बदलाव तो नहीं आ रहे. पुश अप्स के समय हार्ट बीट की जरूर निगरानी करें. यदि ज्यादा हार्ट बीट बढ़ रही है तो डॉक्टर से सलाह लें.

पुश अप्स के फायदेपुश अप्स के फायदे को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन (study) में भी प्रमाणित किया गया है. इसमें बताया गया था कि किस तरह पुश अप्स कई बीमारियों, कार्डिएक अरेस्ट और स्ट्रोक से बचाता है. जामा नेटवर्क में प्रकाशित इस अध्ययन में अग्निशमन दल के दस्ते में शामिल लोगों पर परीक्षण किया गया था. अध्ययन में पाया गया था कि जिस व्यक्ति ने 30 सेकेंड के अंदर 40 बार पुश अप्स किए, उनमें हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और अन्य तरह के कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का जोखिम अगले 10 साल तक बहुत कम हो गया था.

कार्डिएक हेल्थ के लिए क्यों पुश अप्स है फायदेमंद
इसका लॉजिक बहुत ही सरल है. पुश अप्स में नीचे से ऊपर तक शरीर का पूरा अंग शामिल हो जाता है. पुश अप्स करने के दौरान बाहें, छाती, हिप्स और पैर के कई मसल्स में हलचल पैदा होती है. इससे इन सभी अंगों में लचीलापन आता है. आप अपनी सुविधा के हिसाब से इसकी गति को नियंत्रित कर सकते हैं. इन सबसे मसल्स और इन अंगों में मजबूती आती है. फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ विशाल रस्तोगी का कहना है पुश अप्स की तरह मॉडरेट एक्सरसाइज हार्ट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसे रोजाना करने की जरूरत है. यह सीधे हार्ट पर असर करता है और दबाव सहने की क्षमता को बढ़ाता है. इससे ब्लड प्रेशर कम होता है.

एक्सरसाइज से हार्ट को फायदा
फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ विशाल रस्तोगी ने बताया कि एक्सरसाइज वैसे भी शुगर के बढ़ने के जोखिम को कम करता है. यह तनाव वाले हार्मोन को कम करता है और एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है. यह कई तरह से शरीर को फायदा पहुंचाता है. हार्ट में दबाव सहने की क्षमता को बढ़ाता है.

कितना एक्सरसाइज हमारा शरीर सह सकता है
अब यह सवाल जरूरी है कि हमारे शरीर में कितने एक्सरसाइज करने की सहनशक्ति है. हार्ट रेट व्यक्ति की उम्र से प्रभावि होती है. अगर कोई व्यक्ति 40 साल का है तो उसका हार्ट रेट एक्सरसाइज के समय 180 से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर एक्सरसाइज के समय से इससे ज्यादा हार्ट रेट होता है तो इसका मतलब है कि आपके शरीर की सहनशक्ति ज्यादा नहीं है और आपको तुरंत रूक जाना चाहिए. इस स्थिति में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉ रस्तोगी ने यह भी बताया कि एक्सरसाइज के समय यदि आपका हार्ट रेट 150 या 160 तक नहीं पहुंचता है तो इसका मतलब है कि आपकी एक्सरसाइज का फायदा आपके हार्ट को नहीं पहुंच रहा है. इसका मतलब है कि हम जो एक्सरसाइज कर रहे हैं उसका फायदा हार्ट को पहुंचना चाहिए. इसलिए इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें और एक्सरसाइज के साथ हार्ट रेट के रिद्म को मिलाकर एक्सरसाइज करें.

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