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उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप पीने से 18 बच्‍चों की मौत का दावा, CDSCO ने शुरू की जांच

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की कथित तौर पर एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित खांसी की दवा पीने से हुई मौत के मामले में जांच शुरू कर दी है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को यह जानकारी दी।

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि इन बच्चों ने नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी के सिरप ‘डॉक-1 मैक्स’ का सेवन किया था।

मैरियन बायोटेक के कानूनी मामलों का प्रतिनिधित्व करने वाले हसन हैरिस ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले की जांच कर रही हैं और पूछताछ कर रही हैं।

हैरिस ने कहा, ‘‘हमारी ओर से कोई समस्या नहीं है और जांच में कोई गड़बड़ नहीं है। हम पिछले 10 वर्ष से काम कर रहे हैं। सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे। फिलहाल (दवा का) निर्माण बंद हो गया है।’’

मंत्रालय के मुताबिक, प्रयोगशाला में जांच के दौरान सिरप के एक बैच में रासायनिक एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया।

सूत्रों ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने उज्बेक नियामक से घटना के संबंध में और जानकारी मांगी है। उत्तर क्षेत्र की केंद्रीय औषधि नियामक टीम और राज्य औषधि नियामक टीम ने संयुक्त रूप से निरीक्षण किया, जिसमें दवाओं के नमूने भी लिए गए।

गाम्बिया में इस साल की शुरुआत में 70 बच्चों की मौत को हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित खांसी के सिरप से जोड़ा गया था, जिसके बाद हरियाणा स्थित इकाई को विनिर्माण मानकों के उल्लंघन के लिए बंद कर दिया गया था। बहरहाल, बाद में एक सरकारी प्रयोगशाला में जांच के बाद नमूने नियमों के अनुसार पाए गए।

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