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क्या पेट्रोल-डीजल से पूरी तरह खत्म हो जाएगी भारत की निर्भरता? जानें 30 साल बाद कैसी होगी देश की तस्वीर

आज भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात के ऊपर बहुत ज्यादा निर्भर है. हम 85 फीसदी तेल आयात करते हैं. प्राकृतिक गैस का लगभग 60 फीसदी आयात करते हैं. हम काफी हद तक यूरेनियम भी आयात करते हैं. जो सौर उर्जा का उत्पादन हम करते हैं. उसमें भी 85-80 फीसदी हम आयात करते हैं.

सरकार की नीति ये है कि ये तमाम निर्भरता को कैसे खत्म किया जाए और 2047 तक भारत उर्जा की दृष्टिकोण से आजाद हो जाए. इस ओर सरकार कदम उठा रही है. अब यदि प्रकृति ने आपको तेल, गैस या यूरेनियम नहीं दिया तो बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं सकते. इसीलिए सरकार नए संसाधनों को ढूंढ रही है. जिनमें खासतौर पर वैकल्पिक ऊर्जा (रिन्यूबल एनर्जी) पर सरकार का फोकस है. सरकार का लगता है कि वैकल्पिक ऊर्जा के माध्यम से हम 2047 तक एनर्जी इंडेपेंडेंट हासिल कर सकते हैं और आयात पर अपनी निर्भरता को लगभग शून्य कर सकते हैं.

इसीलिए सरकार ने तमाम कदम उठाए. बजट में भी आपने देखा कि ग्रीन एनर्जी पर बहुत ज्यादा फोकस किया गया. ग्रीन एनर्जी खाली परिवहन के लिए नहीं बल्कि इससे अब पूरी अर्थव्यवस्था को डीकार्बनाइज्ड करने का प्रयास है. उसके लिए 35 हजार का एलोकेशन भी हमने देखा. हमने ये भी देखा कि बॉयो फ्यूल पर काफी जोर है. हाइड्रोजन पर भी सरकार का बहुत जोर है. उसके लिए भी सरकार ने बहुत बड़ा एलोकेशन किया है. सरकार का मानना है कि आने वाले समय में हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा के माध्यम से हम अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार कर पाएंगे.

बहुत अच्छे कदम हैं. दिशा तय की गई है, दिशा को लेकर एक रोडमैप बनाया गया है. अब इस पर हमें चर्चा करनी है कि जो सरकार का रोडमैप है, उसमें कितनी मुश्किलें हैं और कितनी संभावनाएं हैं और कितनी वहां पर चुनौतियां हैं.

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