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अगर सोने से पहले आप भी देखते हैं मोबाइल तो सेहत पर बड़ा खतरा!

मोबाइल हमारी डेली रुटीन लाइफ का एक अहम हिस्सा हो गया है। हमारे बहुत से काम मोबाइल से आसान हो जाते हैं। वहीं स्मार्टफोन अब मनोरंजन का भी बड़ा साधन बन गया है। इसमें लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्में, वेब सीरीज, वीडियो आदि चीजें देखते हैं। इसके साथ ही यूजर्स का बहुत से निजी डेटा भी मोबाइल या स्मार्टफोन में स्टोर रहता है। अब लोगों को मोबाइल की लत लग गई है। ऐसे में लोग बार बार अपना फोन देखते रहते हैं। हालांकि कई शोधों में इस बात का खुलासा हो चुका है कि मोबाइल पर ज्यादा वक्त बिताना सेहत के लिए हानिकारक होता है। कई लोग रात को सोने से पहले भी मोबाइल देखते रहते हैं। यह आपकी सेहत के लिए खतरा है।

नींद में पड़ेगी खलल
जनरल ऑफ स्लीप रिसर्च में छपी एक स्टडी के अनुसार, यदि आप सोने से पहले काफी देर तक मोबाइल स्क्रीन देखते हैं तो आपकी नींद की क्वालिटी अच्छी नहीं होगी। टीवी की स्क्रीन का भी ऐसा ही असर होता है। इस स्‍टडी में शामिल लोगों को एक तरह के सेल्‍फ इक्‍जामिनेशन की प्रक्रिया में डालने की कोशिश की गई। प्रत्‍येक व्‍यक्ति को एक स्‍लीप जनरल मेंटेन करना था और सोने से पहले उसने कितना वक्‍त किस डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर और क्‍या देखते हुए बिताया, इस बात की पूरी डीटेल नोट करनी थी।

सेहत को खतरा!
शोधकर्ताओं ने शोध में शामिल लोगों के नींद के पैटर्न, नींद की अवधि आदि को वैज्ञानिक यंत्रों के जरिए मापने की कोशिश की। उन्‍होंने पाया कि जिस भी रात सोने से पहले उन्‍होंने ज्‍यादा वक्‍त डिजिटल स्‍क्रीन के सामने बिताया था, उस रात नींद की क्‍वालिटी, हार्ट रेट डिस्‍टर्ब रहीं। इसके ठीक उलट डिजिटल स्‍क्रीन पर वक्‍त न बिताने वाले लोगों की नींद की क्‍वालिटी ज्‍यादा बेहतर पाई गई।

खुद देख सकते हैं प्रयोग कर
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कोई ऐसा अध्‍ययन नहीं है, जो आपको वैज्ञानिक यंत्रों से ही मापने की जरूरत हो। आप खुद भी अपने ऊपर यह प्रयोग करके देख सकते हैं। इसके लिए आपको सोने से पहले देर रात तक टीवी देखना, मोबाइल पर वक्‍त बिताना या किसी भी तरह के डिजिटल स्‍क्रीन के सामने बैठना बंद कर देना है। उसके बजाय किताबें पढ़ें, बातें करें या कुछ भी ऐसी गतिविधि में शामिल हों, जो डिजिटल नहीं है। आप खुद अपनी नींद की क्वालिटी में फर्क पाएंगे।

डिजिटल स्क्रीन से निकलती है एक खास तरह की रेज
शोधकर्ताओं का कहना है कि डिजिटल स्‍क्रीन से एक खास तरह की रेज निकलती है, जो मस्तिष्‍क की तंत्रिकाओं को उद्वेलित करने का काम करती है। मस्तिष्‍क शांत नहीं रहता। साथ ही इससे हमारी आंखों पर भी नकारात्‍मक असर पड़ता है। यही कारण है कि डिजिटल स्‍क्रीन पर ज्‍यादा समय बिताने के कारण हमारी नींद प्रभावित होती है क्‍योंकि मस्तिष्‍क की तंत्रिकाएं डिस्‍टर्ब हो जाती हैं।

शाम के बाद कम देखें मोबाइल या टीवी
वहीं मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि सभी लोगों को शाम 6 बजे के बाद किसी भी प्रकार की डिजिटल स्क्रीन के अधिक संपर्क में आने से बचना चाहिए। इससे आपकी आंखें और हार्ट की हेल्थ सही रहेगी। स्मार्टफोन और टीवी के कारण लोग एक ही जगह कई घंटों तक बैठे या लेटे रहते हैं, इससे भी कई प्रकार की दिक्कत हो सकती है।

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