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केंट बोर्ड मेंबर चुनाव होंगे स्थगित..!

जबलपुर। केंटोन्मेंट बोर्ड मेंबर (पार्षद) चुनाव स्थगित करने की तैयारी है। दरअसल रक्षा मंत्रालय ने 17 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी करते हुए 30 अप्रैल को देश के 57 केंटोन्मेंट बोर्ड में मेंबर का निर्वाचन कराए जाने की घोषणा की थी। जिसके बाद से केंटोन्मेंट बोर्ड क्षेत्र में चुनावों की तैयारी चल रही थीं। वहीं चुनावों को लेकर अलग – अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन भी चल रहे हैं। सूत्रों की माने तो तमाम जगहों से मिल रहे फीडबैक को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रक्षा मंत्रालय को तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पुन: विचार करने की बात कही है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि आज रक्षा मंत्रालय ने केंट बोर्ड चुनावों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई है। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव स्थतिग किए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी हो सकते हैं।
क्या है दुविधा –
दरसअल,सुप्रीम कोर्ट के 2016-17 को आदेश के तहत रक्षा संपदा विभाग मुख्यालय से जारी निर्देशों के तहत बंगला – बगीचा और बंगले क्षेत्रों में अतिक्रमण कर रहे परिवारों के नाम मतदाता सूची से बाहर किए गए थे,यह आंकड़ा बहुत बड़ा है। जबलपुर केंट बोर्ड में अकेले करीब 25 हजार मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से बाहर कर दिए गए थे। इस बात को जानते हुए विधानसभा चुनावों के मद्देजनर कांग्रेस मतदाता सूची से बाहर हुए मतदाताओं के नाम जोड़कर ही चुनाव कराए जाने की मांग उठा रही थी। बात साफ थी कि भले ही उक्त मतदाता केंट बोर्ड मेंबर चुनावों में वोट नहीं डालेंगे, लेकिन विधानसभा और लोकसभा में तो वो वोटिंग करेंगे। स्वाभिक बात है कि उनके आक्रोश का लाभ कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में मिलता है। इस बात को भाजपा के विधायक भी भलीभांति जान कर रहे हैं। यहीं कारण है कि जिन पांच राज्यों में आगामी नबवंर माह में चुनाव होना है वहां के भाजपा विधायक भी यह गुहार लगा रहे थे कि केंट बोर्ड मेंबर का निर्वाचन विधान सभा चुनावों के बाद ही कराए जाएं। सूत्रोें की मानें तो जबलपुर,सागर,मऊ, मुरार केंट से जुड़े भाजपा विधायकों ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर केंट बोर्ड चुनाव टालवाने के लिए रक्षा मंत्री से बात करने की मांग उठाई थी। कहां तो यह तक जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में विधायकों के सामने ही रक्षा मंत्री से चर्चा भी की थी। जिसका असर अब नजर आ रहा है।
कई राज्यों के केंट निवासी चाहते है निकायों में विलय –
रक्षा मंत्रालय ने केंट बोर्ड के समीपस्थ निकायों में विलय को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया था। जिस पर हिमाचल के योल केंट बोर्ड से क्रियांन्वयन भी शुरू हो गया है। लेकिन अचानक चुनावों की घोषणा होने के बाद विलय की आस लगाए बैठे केंट बोर्ड के निवासियों ने विरोध शुरू कर दिया था। हिमाचल में तो चुनावों के बहिष्कार तक की घोषणाएं होने लगी थी। दरअसल देश के कई छोटे केंटो के सिविल एरिया में रह रहे परिवारों को तंग हाली में चल रहे बोर्ड मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दे पा रही हैं। लिहाजा ऐसे केंटो में रहने वालों को समीपस्थ निकायों में विलय होने से विकास की नई आशा जागी थी। इसलिए अब वे केंट बोर्ड मेंबर चुनावों को नहीं चाहते हैं।
तंगहाली से जूझ रहे केंटों में रोकी गई भर्ती —
बताया जाता है कि रक्षा मंत्रालय ने उन केंटोन्मेंट बोर्ड्स में चल रही भर्ती प्रक्रियाएं भी रूकवा दी है, जिनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ है। हालांकि वर्तमान में तो सभी केंट बोर्ड में आचार संहिता के चलते भर्ती रूकी हुई है। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि आचार संहिता के बाद भी आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे केंटोन्मेंट बोर्ड में स्टाफ की भर्तियां नहीं होंगी।

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