ज्योतिष

शनि जयंती पर करेंगे इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, तो बनेंगे बिगड़े सारे काम

सनातन धर्म शनि देव को कर्म प्रधान का देवता माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनिदेव की कृपा पाने के लिए लोग नाना प्रकार के उपाय करते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार शनि जयंती 19 मई को मनाई जाएगी. मान्यता है कि अगर शनि देव प्रसन्न होते हैं तो सबसे पहले तिलक करते हैं और राजा बाद में बनाते हैं. तो वही शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं.

शनि दोष और साढ़ेसाती से राहत पाने के लिए शनिदेव के शक्तिशाली मंत्रों का जप भी करते हैं. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे अगर आप शनि ग्रह या फिर शनि दोष शनि के साढ़ेसाती ढैया से जूझ रहे हैं. तो आपको शनि जयंती के दिन सनी के अन्य शक्तिशाली मंत्रों का जप करना चाहिए. ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी . ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि शनि जयंती के दिन अगर विधि विधान पूर्वक सच्चे मन से और श्रद्धा से शनिदेव की पूजा आराधना की जाए. उनके मंत्रों का जब किया जाए तो जीवन में आई समस्त बाधा समाप्त होंगी.

विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए
अगर आप शनि जयंती पर शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं उनकी कृपया प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर पूजा करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें.
ॐ शं शनिश्चराय नम:

साढ़ेसाती से बचने के लिए
अगर आप साढ़ेसाती से जूझ रहे हैं तो शनि जयंती के दिन शनि देव के इन मंत्र का जप करें
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

शनि देव का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।

सफल जीवन की कामना के लिए
अगर आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं तो शनि जयंती के दिन दिए गए इन मंत्र का जप करें
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

शनि स्तोत्रनमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुतेनमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुतेनमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय चनमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभोनमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुतेप्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य चकोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

तो ऐसे करे इन मंत्रों का जप
शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान कर शनिदेव के व्रत और पूजा-पाठ का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद घर के साथ स्थान पर शनिदेव की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. उसके बाद नीले फूल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले तिल अर्पित करना चाहिए. मीठी पूरी का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद काली तुलसी की माला से अपनी इच्छानुसार मंत्रों का जाप करें.

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