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देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली तब असंतुलन की स्थिति पैदा होगी

नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ने सोमवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार से मांग की कि देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए और अदालत में इसके विरोध में अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए ताकि सदियों से पवित्र मानी जाने वाली विवाह संस्था की पवित्रता बनी रहे। भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाकर कहा कि 33 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता मिल चुकी है इसी सप्ताह अमेरिका में भी सीनेट ने इसके लिए कानून बनाया है। सुशील मोदी ने कहा कि जापान ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी है। एशिया में ताइवान एकमात्र ऐसा देश है जिसने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है।
भाजपा सदस्य ने कहा पश्चिम संस्कृति का अनुसरण करने वाले कुछ लोग प्रयास कर रहे हैं कि देश में भी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिले लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए नहीं तब असंतुलन की स्थिति पैदा होगी। उन्होंने कहा हमारे यहां विवाह संस्था को पवित्र माना गया है। इसकी कुछ विशेषताएं और प्रथाएं हैं और यह सदियों से चली आ रही हैं। विवाह से परिवार बच्चे उनका पालन पोषण घरेलू हिंसा पिता के घर में बेटी के रहने का अधिकार तलाक भरण पोषण आदि मुद्दे भी संबद्ध हैं।’’
सुशील मोदी ने कहा कि देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ सहित अन्य किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि इस सामाजिक मुद्दे पर संसद में तथा समाज में पर्याप्त बहस होनी चाहिए और केवल दो न्यायाधीश इस बारे में निर्णय नहीं ले सकते। उन्होंने मांग की कि समलैंगिक विवाह के विरोध में सरकार को अदालत में अपनी बात मजबूती से रखनी चाहिए ताकि इस वैधानिक दर्जा न मिल सके।

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