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नारी शक्ति वंदन अधिनियम: एमपी-राजस्थान-छत्तीसगढ़ के चुनाव में दिखेगा असर, आरक्षण से महिलाओं को मिलेगा ये फायदा

गणेश चतुर्थी से संसद की कार्यवाही नए भवन से शुरू हो गई है। पहले दिन सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल सदन में पेश कर दिया है। सरकार ने इस बिल का नाम नारी शक्ति अधिनियम दिया है। महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है।

पीएम मोदी ने कहा कि अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी प्रयास हुए हैं। 1996 में पहली बार बिल पेश हुआ। पूर्व पीएम अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उसके कारण वह सपना अधूरा रह गया। पीएम ने कहा, महिला को अधिकार देने का उनकी शक्ति को आकार देने का काम करने के लिए भगवान ने मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट ने महिला आरक्षण वाले बिल को मंजूरी दे दी है। एक बार फिर हमारी सरकार ने अहम कदम बढ़ाया है। सरकार ने इस बिल महिला आरक्षण को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया है।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश करने के बाद कहा कि महिला आरक्षण बिल के तहत विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसके अलावा लोकसभा में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। यानी 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। साथ ही दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

मध्यप्रदेश में ऐसी हो सकती है स्थिति
राजनीति में आधी आबादी की 33 प्रतिशत भागीदारी यदि सुनिश्चित हो गई तो मध्य प्रदेश के अगले विधानसभा में 76 महिला विधायकों की जीत तय है। साल 2018 के चुनाव में मध्य प्रदेश में महिला विधायकों की संख्या सिर्फ 21 थी। इस चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ 10 प्रतिशत, तो कांग्रेस 12 प्रतिशत महिलाओं को ही टिकट दिया था, जबकि सूबे में महिला वोटरों की संख्या तकरीबन 48 प्रतिशत हैं। अगर संसद के विशेष सत्र में लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास होता है तो इसका असर मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पड़ेगा। मध्य प्रदेश में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू होने के बाद जो फार्मूला तय होगा, उस हिसाब से 230 में से 76 महिला विधायक विधानसभा तक पहुंचेंगी। अभी प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों की तरफ से सिर्फ 21 महिला विधायक हैं। इनमें बीजेपी की 11, कांग्रेस की 9 और एक बसपा से हैं। अब आधी आबादी के वोट को हासिल करने के लिए राजनीतिक लड़ाई और तेज होगी। राजनीतिक दल ‘लाडली बहन’ और ‘नारी सम्मान’ जैसी अपनी योजनाओं पर तीखा प्रचार अभियान शुरू करेंगे।

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