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मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार का क्षेत्रीय मजबूती पर जोर

भोपाल,  मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री में हुए बदलाव के बाद सरकार और संगठन की रणनीति में भी बदलाव नजर आने लगा है। अब दोनों का लक्ष्य क्षेत्रीय मजबूती है और उसके लिए अभियान भी छेड़ दिया गया है।

राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत मिला और पार्टी के साथ नवनिर्वाचित विधायकों ने बतौर नेता मोहन यादव को चुना। यादव मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और मंत्रिमंडल के गठन के बाद से लगातार सक्रिय हैं और उनका प्रशासनिक कसावट लाने के साथ सियासी गणित को साधने की कोशिश जारी है।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री का जोर क्षेत्रीय जमावट पर भी है। मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जहां संभागीय स्तर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशासनिक कसावट की जिम्मेदारी सौंपी तो वहीं वरिष्ठ पुलिस अफसर को कानून व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त करने के लिए संभागीय स्तर पर नजर रखने को कहा गया है।

एक तरफ जहां प्रशासनिक कसावट के मद्देनजर वरिष्ठ अधिकारियों को संभाग और जिले स्तर पर नजर रखने के साथ सक्रिय रहने की हिदायतें दी गई हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री यादव खुद क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं।

बीते कुछ दिनों की गतिविधियों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि मुख्यमंत्री निमाड़-मालवा के नीमच गए, उसके बाद महाकौशल के जबलपुर पहुंचे, फिर उन्होंने ग्वालियर-चंबल के ग्वालियर पहुंचकर विकास कार्यों के साथ सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली की समीक्षा की और अब विंध्य में हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री यादव राज्य में जमीनी स्तर पर कसावट लाना चाहते हैं। साथ ही वे व्यवस्थाओं में बदलाव लाने के प्रयास में भी हैं। यही कारण है कि वे जहां ऐसे अफसर पर कार्रवाई कर रहे हैं जिनकी कार्यशैली सवालों के घेरे में है, दूसरी ओर वह संभागीय स्तर पर बैठकर शुरू कर चुके हैं। इसका लाभ जहां आमजन को होगा, वहीं सरकार की छवि बनेगी और संगठन को भी लाभ होगा।

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