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2024 लोक सभा चुनाव के लिए 350 प्लस सीटें जीतने के टारगेट पर कर रही है काम

2019 के लोक सभा चुनाव में 38 प्रतिशत के लगभग वोट हासिल कर 303 सीटों पर चुनाव जीतने वाली भाजपा ने अगले साल 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिए 350 प्लस सीटें जीतने का टारगेट सेट किया है। इसके लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है।

एक तरफ जहां भाजपा अपने वर्तमान मजबूत गढ़ की मजबूती बनाये रखने पर ध्यान दे रही है ताकि वर्तमान सीटों पर अगले चुनाव में भाजपा को ज्यादा नुकसान न उठाना पड़ें तो वहीं दूसरी तरफ सोनिया गांधी, अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और शरद पवार जैसे कई अन्य दिग्गज नेताओं की लोक सभा सीटों पर भी खास तैयारी की जा रही है जिस पर भाजपा को कभी भी जीत हासिल नहीं हो पाई है। वहीं तीसरी तरफ भाजपा दक्षिण भारत के उन राज्यों पर भी फोकस कर रही है जहां पिछले चुनाव में भाजपा का खाता तक नहीं खुला था या पार्टी को कम सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई थी।

आइए आपको बताते हैं कि भाजपा 350 प्लस सीटों का लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या-क्या कर रही है।

भाजपा ने पिछले साल ही उन खास लोक सभा सीटों की एक विशेष लिस्ट बनाई थी, जिन पर 2019 के लोक सभा चुनाव में हार मिली थी। इस लिस्ट में खासतौर से उन लोक सभा सीटों को शामिल किया गया है जिन सीटों पर भाजपा पिछले चुनाव में नंबर 2 पर रही थी या फिर बहुत ही कम अंतर से जीती थी।

पहले इस लिस्ट में 144 सीटों को शामिल किया गया था। बाद में इन सीटों की संख्या को बढ़ाकर 160 कर दिया गया। इन सीटों को 2-4 सीटों के कलस्टरों में बांटकर इन पर केंद्रीय मंत्रियों एवं पार्टी के दिग्गज नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश स्तर पर प्रदेश संयोजक और सह संयोजक भी बनाए गए हैं।

पार्टी ने इसे ‘लोक सभा प्रवास योजना’ का नाम दिया है और इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी अपने तीन महासचिवों – सुनील बंसल, विनोद तावड़े और तरुण चुग की त्रिमूर्ति को दी है। भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने इसी सप्ताह ‘लोक सभा प्रवास योजना’ की समीक्षा बैठक में अब तक हुए कामकाज और मंत्रियों एवं नेताओं के प्रवास की समीक्षा की और क्लस्टर प्रभारियों को अहम निर्देश भी दिए।

इन 160 कमजोर सीटों पर विशेष तैयारी का यह मतलब कतई नहीं है कि पार्टी ने देश की अन्य लोक सभा सीटों को छोड़ दिया है। बल्कि भाजपा देश की सभी लोक सभा सीटों पर भी जोर-शोर से तैयारी कर रही है।

भाजपा ने अपने राजनीतिक इतिहास में पहली बार माइक्रो स्तर तक जाकर लोक सभा चुनाव की तैयारियों के मैनेजमेंट और कामकाज को सरल बनाने के लिए देशभर के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को तीन सेक्टरों- ईस्ट रीजन, नार्थ रीजन और साउथ रीजन में बांट दिया है।

पार्टी ने ईस्ट रीजन में 12 राज्यों- बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा को शामिल किया है।

वहीं नॉर्थ रीजन में 14 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात,हिमाचल प्रदेश, पंजाब,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,  हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख,  चंडीगढ़ और दमन दीव-दादरा नगर हवेली को शामिल किया गया है।

मिशन साउथ इंडिया पर खास फोकस करते हुए भाजपा ने साउथ रीजन में 11 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों — केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप और पुड्डुचेरी को शामिल किया है। पार्टी इसी महीने ईस्ट रीजन के राज्यों की बैठक गुवाहाटी, नॉर्थ रीजन में शामिल राज्यों की बैठक दिल्ली और साउथ रीजन  में शामिल राज्यों की बैठक हैदराबाद में कर चुकी है।

भाजपा दक्षिण भारत के पांच राज्यों — कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में खासा मेहनत करने में जुटी है। इन पांचों राज्यों में कुल मिलाकर लोक सभा की 129 सीटें हैं और इसमें से भाजपा के पास अभी सिर्फ 29 सीटें ही हैं और इसमें से भी 25 सीटें उसे अकेले कर्नाटक से ही मिली है जबकि तेलंगाना से उसके पास चार सांसद हैं।

कर्नाटक विधान सभा चुनाव में मिली हार से सतर्क भाजपा कर्नाटक में अपनी जमीन बचाने के साथ-साथ तेलंगाना में सीटें बढ़ाने एवं आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में खाता खोलने पर विशेष ध्यान दे रही है।

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