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एंबुलेंस के पैसे नहीं, मां के शव को कंधे पर लादकर 50 KM दूर श्मशान चल पड़ा बेटा

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में गुरुवार को एक दर्दनाक तस्वीर सामने आई है. मां की मौत हो गई, लेकिन अस्पताल के एंबुलेंस में शव ले जाने के लिए 3 हजार रुपए की मांग की गई. दिहाड़ी मजदूर की कमाई मां के इलाज और खाने में खर्च हो गई थी. इसलिए एंबुलेंस को देने के लिए पैसा नहीं थे, तो विवश बेटा अपनी मां की लाश को कंधे पर कपड़े में बांधकर 50 किलोमीटर दूर श्मशान की ओर चल पड़ा. गरीब बूढ़ा पिता बेटे के साथ चलता रहा. यह तस्वीर किसी दूसरे राज्य की नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की ही है. घटना जलपाईगुड़ी जिले के करणी इलाके की है. यह तस्वीर सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है.

जलपाईगुड़ी में घटी दिलदहलाने वाली घटना
गुरुवार को बंगाल के जिलों में सर्दी का सितम जारी है. ठंड से लोग परेशान है. उसी में जलपाईगुड़ी से एक दिलदहलाने वाली तस्वीर सामने आई है. 40 वर्षीय व्यक्ति कंधे पर चादर में लिपटा शव लेकर सड़क किनारे चलने की कोशिश कर रहा है. पीछे सत्तर साल के एक बूढ़े ने उस शरीर को कंधा दे रखा है. रास्ते के लोग देख रहे हैं और कुछ अपनी मोबाइल पर तस्वीर भी खींच कर रहे हैं. शव को ले जाते समय वे थोड़ा हांफ रहे हैं. शव को कभी सड़क पर रखते हैं. थोड़ा सुस्ताते हैं और फिर चल देते हैं.

जलपाईगुड़ी के अस्पताल में महिला की हो गई थी मौत
ज्ञात हुआ है कि शव जलपाईगुड़ी जिले के क्रानी प्रखंड निवासी लक्ष्मीरानी दीवान का है. उन्हें बुधवार को जलपाईगुड़ी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई. परिजन का दावा है कि स्थानीय एंबुलेंस को शव ले जाने के लिए तीन हजार रुपये की मांग की, लेकिन उनके पास इतनी राशि नहीं थी कि वे एंबुलेंस की रकम का भुगतान कर सके. इसलिए बेटा और पति मृतक के पार्थिव शरीर को कंधे पर लादकर श्मशान पहुंचाने का रास्ता चुना.

स्वयंसेवी संस्था की मदद से लाश पहुंचा श्मशान घाट
जलपाईगुड़ी से क्रांति की दूरी करीब पचास किलोमीटर है मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नि:शुल्क सेवा का प्रावधान है, लेकिन प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं. अस्पताल के भीतर निजी एंबुलेंस और एंबुलेंस सेवा मुहैया कराने वालों के दाम बढ़ाने पर भी सवाल उठ रहे हैं. अंतत: खबर स्वयंसेवी संस्था तक पहुंची. एक स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि आगे आए. शव को श्मशान घाट पहुंचाने की व्यवस्था की गई और अंतिम संस्कार में भी मदद की जा रही है.

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