दुनिया

21 साल की कोशिशों के बाद भारत को मिला चाबहार बंदरगाह

ईरान और भारत के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन को लेकर समझौता हो गया है. इस समझौते के लिए बातचीत 2003 में शुरू हुई थी.

भारत को ईरान का चाबहार बंदरगाह के 10 साल तक इस्तेमाल के अधिकार मिल गए हैं. भारत इस बंदरगाह का विकास करेगा और 10 साल तक इसका प्रबंधन करेगा. पाकिस्तान से लगती ईरान की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर स्थित चाबहार बंदरगार को समुद्री व्यापार के लिए एक अहम और रणनीतिक जगह माना जाता है.

ईरान के शहरी विकास मंत्रालय ने बताया कि समझौते के तहत भारत की इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) कंपनी चाबहार में 37 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी और “बंदरगाह का ढांचागत विकास” करने के लिए “रणनीतिक उपकरण” उपलब्ध कराएगी.

सोमवार को भारत के जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और ईरान के शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने समझौते पर दस्तखत किए.

बजरपाश ने इस मौके पर कहा, “इलाके में परिहवन के विकास में चाबहार एक अहम केंद्र बन सकता है. हम इस समझौते से बेहद खुश हैं और भारत पर हमें पूरा भरोसा है.”

सोनोवाल ने कहा कि भारत और ईरान “क्षेत्रीय बाजारों तक पहुंच के दोनों देशों के हितों को देखते हुए चाबहार बंदरगाह के हरसंभव विकास को लेकर” बहुत उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, “लंबी अवधि का यह समझौता भारत और ईरान के बीच सदा से रहे भरोसे और प्रभावशाली साझेदारी का प्रतीक है.

2003 से जारी थी कोशिशें

इस समझौते पर भारत और ईरान के बीच लगभग 20 साल से बातचीत चल रही थी. 2003 में भारत ने ईरान से चाबहार बंदरगाह के विकास में हिस्सेदारी पर बातचीत शुरू की थी. अगस्त 2012 इस समझौते को लेकर भारत, ईरान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई जिसके बाद जनवरी 2013 में भारत ने चाबहार में 10 करोड़ डॉलर के निवेश पर सहमति दी थी.

2016 में भारत ने चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने पर सहमति दी थी. तब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में सहमति पत्र पर दस्तखत भी हो गए थे.

लेकिन यह समझौता सिरे नहीं चढ़ पाया क्योंकि ईरान और अमेरिका के बीच 2015 में हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता 2018 में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद टूट गया और अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिए.

अमेरिका नाखुश

अमेरिका इस समझौते को लेकर बहुत खुश नहीं रहा है लेकिन 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद उसने इसे स्वीकार कर लिया था. हालांकि सोमवार को उसने चेतावनी दी कि भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

सोमवार को अमेरिका ने एक बार फिर इस समझौते को लेकर कड़ा रुख दिखाया. वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चाबहार में काम करने वाली कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, “चूंकि यह अमेरिका से जुड़ा मामला है, इसलिए ईरान पर लगे प्रतिबंध जारी रहेंगे. ईरान के साथ व्यापार करने वाली हर कंपनी को, चाहे वह कहीं की भी हो, इस बात का पता होना चाहिए वह प्रतिबंधों का खतरा मोल ले रही है.”

सम्बंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button