मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, इलेक्शन बॉन्ड पर लगाई तत्काल रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इलेक्शन बॉन्ड स्कीम पर अहम फैसला दिया है। इस पर चार जजों की एक राय है और अन्य जज संजीव खन्ना के विचार थोड़े अलग हैं। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने आगे कहा कि लोगों को यह जानने का पूरा हक है कि सरकार ने उनके पैसे का क्या किया।
कोर्ट चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने 2018 में बॉन्ड स्कीम लॉन्च की थी। इसे राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था। इसे राजनीतिक दलों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया।
बता दें, राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए पार्टियों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में इस योजना को पेश किया गया था। हालांकि कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।
सुनवाई पूरी कर चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।