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Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue: 40 नहीं टनल में फंसे है 41 श्रमिक, रेस्क्यू ऑपरेशन की CM धामी ने की समीक्षा

उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार सातवें दिन कोशिश जारी है। बताया जा रहा है कि इस टनल में 40 नहीं 41 मजदूर फंसे हैं।

बचाव कार्य में बाधा आने से पिछले लगभग एक सप्ताह से सुरंग में फंसे उन 41 श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया है जो बाहर निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पीएमओ के मार्गदर्शन में राज्य सरकार सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सकुशल निकालने के प्रयास में जुटी है।

सुरंग में फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए देश और दुनिया में ईजाद की गई आधुनिक तकनीक की मदद ली जा रही है। उम्मीद हैं कि जल्द इसमें सफलता मिल जायेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू पर पल पल अपडेट ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने आज शासकीय आवास पर अधिकारियों के साथ श्रमिकों के बचाव के लिए चल रहे रेस्क्यू कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही बाधाओं से निपटने के लिए हर आवश्यक कदम उठाये जाएं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी लगातार बचाव अभियान का अपडेट लिया जा रहा है। ऐसे में ग्राउंड जीरो पर जो भी रेस्क्यू कार्य किया जा रहा है, अधिकारी एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर समय पर अंजाम तक पहुंचाएं। रेस्क्यू कार्य के लिए जिन संसाधनों की जरूरत हैं, उनको तत्काल एजेंसियों को मुहैया करा कर तेजी से कार्य कराएं। सरकार की प्राथमिकता में श्रमिकों को सुरक्षित और समय पर बाहर निकालना है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मुसीबत में फंसे श्रमिकों के परिजनों के साथ सरकार खड़ी है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वह सभी परिजनों को रेस्क्यू की हर पल की जानकारी देते रहें। इसके अलावा सिलक्यारा पहुंचे परिजनों के लिए भी सहायता केंद्र खोलने और उनके रहने-खाने की जरूरत के हिसाब से मदद की जाए। उन्होंने कहा कि विपदा की इस घड़ी में परिजनों को धैर्य बनाये रखने की जरूरत है। सरकार हर वक्त उनके साथ खड़ी है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग आपदा से निपटने के लिए देश और दुनिया में चले पुराने सुरंग रेस्क्यू के अनुभवों के आधार पर कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए अधिकारी पड़ोसी राज्य हिमचाल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत दुनिया के कई देशों में सुरंग निर्माण और आपदा के बाद हुए रेस्क्यू की तकनीकी को अपना रहे हैं। पीर पंजाल, अटल सुरंग, भंवर टोंक, संगलदान जैसी बड़ी सुरंग निर्माण और लूज गिरने के बाद रेस्क्यू की जानकारी जुटाई जा रही है। इसी के अनुसार रेस्क्यू टीम श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटी हैं।

मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव मुख्यमंत्री शैलेश बगौली, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक ला एंड ऑर्डर ए.पी.अंशुमन, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी उपस्थित थे।

 

उत्तरकाशी जिला आपातकालीन नियंत्रण कक्ष से शनिवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में ड्रिलिंग का काम फिलहाल रुका हुआ है जबकि इंदौर से एक और उच्च क्षमता वाली शक्तिशाली ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गयी है ।

इस मशीन को देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर शुक्रवार रात को लाया गया जहां से इसे सिलक्यारा पहुंचाया गया।

इससे पहले, सुरंग में मलबे को भेदने के लिए दिल्ली से एक अमेरिकी ऑगर मशीन सिलक्यारा लाई गयी थी जिसने शुक्रवार दोपहर तक 22 मीटर तक ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गये थे जबकि पांचवें पाइप को डाले जाने का काम जारी था।

सुरंग का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) द्वारा इस संबंध में जारी एक बयान के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर करीब पौने तीन बजे पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान सुरंग में एक बहुत तेज ध्वनि सुनाई दी जिसके बाद बचाव अभियान रोक दिया गया ।

बयान में कहा गया है कि इस आवाज से बचावकर्मियों में घबराहट फैल गयी । परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने आसपास कुछ ढहने की चेतावनी भी दी जिसके बाद पाइप अंदर डालने का काम रोक दिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल बचाव कार्यों की मौके पर समीक्षा करने के लिए सिलक्यारा पहुंच रहे हैं ।

बताया जा रहा है कि सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है ।

यह दूसरी बार है जब सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील के कई पाइप के जरिए ‘निकलने का रास्ता’ बनाकर श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना पर अमल के दौरान रुकावट आयी है।

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था।

योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी बड़े व्यास के छह मीटर लंबे कई पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक रास्ता बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं।

इस बीच, इस योजना में रुकावट आने के बाद अब अधिकारी दूसरी योजना पर भी विचार कर रहे हैं जिसके तहत सुरंग के उपर किसी नजदीकी स्थान से ड्रिल करके अंदर जाने का रास्ता तैयार किया जाएगा। एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने इसकी पुष्टि की है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सिलक्यारा में चलाए जा रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की और उसमें आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए वहां काम कर रही एजेंसियों को हर संभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए ।

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है।

चारधाम परियोजना के तहत उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें श्रमिक फंस गए हैं ।

इस बीच, सुरंग में 41 श्रमिकों के फंसे होने की सूचना मिली है। उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से जारी सुरंग में फंसे श्रमिकों की ताजा सूची से यह जानकारी मिली ।

श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक सप्ताह से युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी है। लेकिन अभियान के छठे दिन निर्माण कंपनी को पता चला कि सुरंग में फंसे श्रमिकों में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी दीपक कुमार पटेल भी शामिल हैं ।

पटेल को मिलाकर सुरंग में फंसे बिहार निवासी श्रमिकों की संख्या बढ़कर पांच हो गयी है ।

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