देश

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े बिल पर भड़का विपक्ष

यह बिल सुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्च में दिए गए उस आदेश के महीनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संसद की ओर से कानून न बनाए जाने तक प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा इन चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी.

विपक्ष ने कहा संविधान विरोधी कदम

विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और इसे संविधान विरोधी बता रहा है. कांग्रेस ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों से जुड़े बिल पर केंद्र का जोर है, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर देगा. यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक जबरदस्त प्रयास है.

केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने एक्‍स (ट्विटर) पर लिखा, “चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का जबरदस्त प्रयास है. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले का क्या जिसमें एक निष्पक्ष पैनल की बात कही गई है?”

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है? यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है – हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे.”

राज्य सभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि सरकार इस बिल के जरिए सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है.

प्रस्तावित बिल को लेकर आने वाले दिनों में सियासी टकराव हो सकता है. क्योंकि संसद के इसी सत्र में दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा विधेयक पारित किया गया था, जिस पर विपक्ष ने कहा था कि केंद्र सरकार जबरन सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट रही है.

सम्बंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button