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भिखारियों को रेस्क्यू करने वाली संस्था का कारनामा, 23 लोगों को दो-दो बार पकड़ा

इंदौर। किसी भी मंदिर में जाने पर अक्सर व्यक्ति को भिखारियों की भीड़ से घिरा हुआ देखा जाता है।

जब तक आप भिक्षा के रूप में कुछ पैसे नहीं निकालेंगे, वे आपको जाने नहीं देंगे।

भिखारियों की बढ़ती तादाद को रोकने सरकार ने योजना शुरु की और शहरों से भिखारियों का रेस्क्यू शुरु हुआ।

लेकिन इंदौर में इस योजना में भारी गड़बड़ियां सामने आईं हैं।

2020 में केंद्र सरकार लाई थी योजना

जनवरी 2020 में केंद्र सरकार ने इंदौर समेत देश के 10 राज्यों में भिखारी मुक्त शहर योजना लागू की।

इंदौर में इस अभियान में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। 23 भिखारियों के नाम बिल में दो-दो बार, 84 लोगों के नाम पर एक बार भुगतान लिया।

इतना ही नहीं दोबारा बिल में भी उन्हीं को शामिल किया। बंसल न्यूज की पड़ताल में ये खुलासा हुआ है।

इसके बाद संबंधित संस्था को नगर निगम ने नोटिस जारी कर दिया है।

बंसल न्यूज ने की पड़ताल

बंसल न्यूज की पड़ताल के मुताबिक संस्था और नगर निगम के बीच भिखारियों को रेस्क्यू करने का अनुबंध 30 दिसंबर 2021 को हुआ।

इसके बाद 20 जनवरी 2022 को कार्य आदेश जारी कर दिया गया।

19 जनवरी 2023 इस कार्य आदेश की अवधि समाप्त हो चुकी है और दोबारा किसी संस्था को रेस्क्यू अभियान की जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

कुल मिलाकर पिछले 10 महीनों से इंदौर की सड़कों से भिखारियों का रेस्क्यू अधिकारिक तौर पर बंद पड़ा है।

भिखारियों का सर्वे हुआ था

नोडल एजेंसी बनाए गए इंदौर नगर निगम ने शहर में भिखारियों का सर्वे किया था। इस सर्वे में इंदौर में 3500 के करीब भिखारी बताए गए।

इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के लिए नगर निगम ने दो तरह के टेंडर निकाले।

एक टेंडर परदेसीपुरा स्थित भिक्षुक पुनर्वास केंद्र के संचालन का और दूसरा शहर की गली, मोहल्लों,चौराहों, मंदिरों, मस्जिदों के बाहर से भिखारियों को रेस्क्यू करने का।

इस संस्था को मिला था टेंडर

परमपूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर सोसायटी (संस्था प्रवेस) को यह दोनों टेंडर दिए गए।

पुनर्वास केंद्र तो अब भी संचालित हो रहा है, लेकिन भिखारियों का रेस्क्यू बंद हो गया है।

भ्रष्टाचार की एक से बढ़ कर एक मिसाले आपने देखी होंगी। लेकिन भिखारियों के नाम पर भी जो भ्रष्टाचार करते हैं वो कितने बड़े भिखारी होंगे समझा जा सकता है।

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