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अमेरिका द्वारा H-1B नियमों में बदलाव का प्रावधान, आईटी उद्योग चिंतित; अमेरिकी सरकार के सामने अपना पक्ष रखेगा नैसकॉम

मुंबई। भारतीय आईटी क्षेत्र के व्यापार संघ नैसकॉम ने कहा है कि अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) द्वारा जारी H-1B कार्यक्रम के मॉडिफिकेशन के नए प्रावधान इंडस्ट्री के लिए चिंता की वजह बन सकते हैं। H-1B के नए प्रस्तावित प्रावधान के मुताबिक एक्सपर्ट्स की हायरिंग कंपनियों के लिए बेहद कठिन होगी। फिलहाल अमेरिकी सरकार ने इस पर 60 दिनों के भीतर प्रेजेंटेशन मांगे हैं, जिन पर नैसकॉम तथ्यों के साथ अपनी बात रखने का दावा कर रहा है।

अब हर पद के लिए विशेषज्ञ की योग्यता जरूरी

न्यूयॉर्क के एक इमिग्रेशन काउंसलर के मुताबिक, प्रस्तावित नियमों में कुछ ऐसी शर्तें जोड़ी जा रही हैं, जो अमेरिकन अथॉरिटीज को आवेदकों से ज्यादा सबूत पेश करने की मांग के साथ ही एच-1बी आवेदन को अस्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका में काम करने के लिए कोई इंडियन मार्केटिंग मैनेजर एच-1बी याचिका दायर करता है और उसके पास मार्केटिंग में स्पेशलाइजेशन के बिना बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री है,  तो उसके एच-1बी आवेदन को मंजूरी नहीं दी जाएगी।

सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को होगा ये नुकसान

ठीक इसी तरह एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के लिए केवल सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री एच-1बी वीजा के लिए मान्य नहीं होगी। आवेदक को अब डिग्री के साथ ही अपनी विशेषज्ञ के तौर पर हासिल की गई डिग्री या डिप्लोमा भी अमेरिकन अथॉरिटी के सामने पेश करना होगा। इसका सीधा अर्थ है कि सामान्य डिग्री धारकों के लिए अमेरिका और सिलिकॉन वैली के दरवाजे फिलहाल बंद हो जाएंगे। ऐसे में भारी तादाद में जो युवा अमेरिका जाकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में काम करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें अब एक्सपर्ट की एक डिग्री और लेनी होगी। इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियों को भी विदेश से एक्सपर्ट्स को हायर करना बहुत मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि कई सॉफ्टवेयर कंपनियां डिग्री के साथ ही अनुभव को प्राथमिकता देती हैं। ऐसे में नए नियम से वे केवल उन्ही कैंडिडेट को सिलेक्ट करने के लिए मजबूर होंगे जिनके पास एक्सपर्ट या स्पेशलिस्ट की डिग्री या डिप्लोमा है।

यह है H-1B वीजा

एच-1बी वीजा उन लोगों को दिया जाता है, जो अमेरिका में काम करने जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो ये वीजा अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले ऐसे स्किल्ड स्टाफ को दिया जाता है, जिनकी अमेरिका में बहुत कमी है। बाद में इस वीजा को ग्रीन कार्ड दिया जाता है। H-1B वीजा तीन साल के लिए होता है जिसे बढ़ाकर छह साल तक किया जा सकता है। भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स इसी वीजा के जरिए अमेरिका पहुंचते हैं। ऐसे में जिन लोगों का एच-1बी वीजा की अवधि खत्म हो जाती है, वे स्थायी रूप से अमेरिकी नागरिकता के लिए अप्लाई भी कर सकते हैं। नियम के मुताबिक एच-1बी वीजा धारक शख्स अपने बच्चों और पत्नी को साथ लेकर अमेरिका में रह सकता है।

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