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मध्यप्रदेश में नेतृत्व के बदलाव का साल रहा 2023

भोपाल, मध्यप्रदेश में अनेक महत्वपूर्ण राजनैतिक घटनाओं का गवाह रहा वर्ष 2023 सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भी नेतृत्व परिवर्तन के लिए याद किया जाएगा। इस वर्ष हुए सोलहवें विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐतिहासिक विजय के साथ न सिर्फ सत्ता में बरकरार रही, बल्कि उसने इस राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली।
भाजपा की नयी सरकार का गठन नए चेहरे एवं चौंकाने वाले नाम डॉ मोहन यादव की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी के साथ हुआ। इसके साथ ही मंत्रिमंडल के गठन में अपेक्षाकृत नए और युवा चेहरों को तवज्जो दी गयी, हालाकि अनुभव को भी स्थान दिया गया है, लेकिन नौ बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव जैसे नेताओं को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं देकर पार्टी ने संकेत दिया कि वह राज्य में नया नेतृत्व तैयार करना चाहती है।
दूसरी ओर सत्ता में आने की उम्मीद के साथ वर्ष भर कार्य करती रही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलना पड़ी और वरिष्ठ नेता कमलनाथ की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी विदायी हो गयी। उनके स्थान पर युवा चेहरा के रूप में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर आदिवासी नेता उमंग सिंघार की ताजपोशी हुयी। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी को भी बदल दिया गया और नए प्रभारी महासचिव जितेंद्र सिंह ने पहली यात्रा के दौरान ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी को भंग कर दिया।
विधानसभा चुनाव के तीन दिसंबर को आए नतीजों के बाद भाजपा और कांग्रेस मेें “पीढ़ी बदलाव” का दौर एकसाथ देखने को मिला। नयी सरकार में जहां मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और मंत्रियों के रूप अपेक्षाकृत कम उम्र के नेताओं को प्राथमिकता दी गयी, तो कमोवेश कांग्रेस में भी चुनाव नतीजों के बाद युवा नेतृत्व का दबदबा दिखायी दिया। चुनाव के पहले तक पचहत्तर पार हो चुके वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का बोलबाला रहा, लेकिन नतीजों के बाद पार्टीहाइकमान ने नयी पीढ़ी के हाथों में कमान सौंपकर अपनी भविष्य की रणनीति का भी ऐलान कर दिया। राज्य में वर्तमान में भाजपा की मजबूत स्थिति और केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में प्रदेश की “कमान” होने के कारण सत्ता और संगठन के सभी महत्वपूर्ण निर्णय “दिल्ली” से ही होते हुए दिखायी दे रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर भी टिकी हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भविष्य में किस भूमिका में दिखायी देंगे।
राज्य में वर्ष 2023 की शुरूआत विधानसभा चुनाव की तैयारियों के साथ हुयी। प्रदेश भाजपा संगठन में जहां शुरूआती महीनों में सरकार और संगठन में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलबाजियां चलती रहीं, तो कांग्रेस संगठन पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की मजबूत पकड़ दिखायी दी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को नहीं बदला, लेकिन पहले संगठन और बाद में जनता को वह यह संदेश देने में कामयाब रही कि चुनाव में जीत के बाद सरकार नए स्वरूप में सामने आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने चुनाव
प्रबंधन और रणनीति अपने हाथों में लेकर यह संदेश दिया। श्री मोदी ने चुनाव के पहले दर्जनों सभाएं कीं, तो श्री शाह ने संगठन और कार्यकर्ताओं की बैठक पूरे प्रदेश में लेकर पार्टी की जीत की संभावनाओं को मजबूती प्रदान की।
वहीं कांग्रेस का चुनाव प्रचार अभियान सोशल मीडिया पर ज्यादा केंद्रित रहा और उसने कमलनाथ को “भावी मुख्यमंत्री” के रूप में पेश कर अपना अभियान केंद्रित किया। अनेक लोकलुभावन घोषणाएं भी की गयीं। श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी चुनाव अभियान में हिस्सा लिया, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले आए। भाजपा 230 में से 163 सीटों पर विजयी होकर मजबूती से सरकार बनाने में कामयाब रही। वहीं सिर्फ 66 सीटों पर विजय हासिल करने वाली कांग्रेस एक तरह से पराजय के गम में डूब गयी। केंद्रीय नेतृत्व ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नए युवा नेतृत्व को आगे लाकर सख्त संदेश दे दिया कि अब प्रदेश कांग्रेस पर उम्रदराज नेताओं का “कब्जा” नहीं रहेगा। एक अन्य सीट सैलाना पर भारतीय आदिवासी पार्टी के कमलेश्वर डोडियार विधायक चुने गए हैं।
इसके पहले वर्ष भर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनैतिक बयानबाजी, दोनों दलों के असंतुष्ट नेताओं का दल बदल करने और चुनावी घोषणाओं का दौर चला। भाजपा सरकार ने वर्ष के मध्य में चर्चित लाड़ली बहना योजना भी शुरू की। इसके तहत मात्र महिला के बैंक खाते में प्रतिमाह एक हजार रुपए भेजने का क्रम प्रारंभ किया गया। बाद में इस राशि को बढ़ाकर 1250 रुपए प्रतिमाह भी कर दिया गया। चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने संकल्प पत्र के जरिए “मोदी की गारंटी” के रूप में अनेक घोषणाएं कीं।
आखिरकार राज्य के साढ़े पांच करोड़ से अधिक मतदाताओं में से 77 प्रतिशत से अधिक ने अपना वोट डाला और नतीजे भाजपा के पक्ष में गए। भाजपा को चुनाव में लगभग 48 प्रतिशत और कांग्रेस को 40 प्रतिशत के आसपास वोट मिले। इसके बाद डॉ मोहन यादव ने राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में 13 दिसंबर को शपथ ली और इसके पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पद से त्यागपत्र दिया। श्री चौहान राज्य में लगभग सत्रह वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे।
डॉ यादव के साथ ही दो उप मुख्यमंत्रियों जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल ने भी शपथ ग्रहण की। इसके बाद 28 मंत्रियों को 25 दिसंबर को शपथ दिलायी गयी, जिसमें 18 कैबिनेट और दस राज्य मंत्री शामिल हैं। मंत्रियों के बीच विभाग बंटवारे का इंतजार 30 दिसंबर की सुबह तक किया जाता रहा। माना जा रहा है कि विभाग वितरण एक दो दिन में हो जाएगा। इसके पहले 30 नवंबर को राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस अपना कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत हो गए। उन्हें पिछले एक साल के दौरान छह छह माह की सेवावृद्धि दो बार दी गयी थी। उनके स्थान पर वरिष्ठतम महिला आईएएस अधिकारी श्रीमती वीरा राणा को राज्य के मुख्य सचिव की कमान सौंपी गयी है। वे राज्य के प्रशासनिक इतिहास में दूसरी महिला मुख्य सचिव हैं।
वर्ष 2023 राजनैतिक घटनाओं के साथ अनेक उपलब्धियों का भी साक्षी रहा। हालाकि वर्ष के दौरान अनेक हादसों के कारण लोगों की बहुमूल्य जिंदगियां भी छिन गयीं। वर्ष के शुरूआती माहों में जी20 से संबंधित बैठकें राज्य की राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर और खजुराहो में आयोजित की गयीं। इसमें देश विदेश के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर एजेंडा के तहत विचार विमर्श किया। इसके जरिए विदेशी प्रतिनिधियों को राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत देखने का अवसर मिला। इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी हिस्सा लिया।
इस वर्ष जून माह के अंतिम सप्ताह में मध्यप्रदेश को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिली। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भोपाल के रानीकमलापति स्टेशन से भोपाल और इंदौर के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बाद में रानीकमलापति स्टेशन से हजरत निजामुद्दीन और रीवा के लिए भी इन ट्रेनों का संचालन प्रारंभ हुआ। इसके अलावा इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल का “ट्रॉयल रन” हुआ। माना जा रहा है कि वर्ष 2024 में दोनों ही शहरों में मेट्रो रेल में नियमित तरीके से यात्री सफर करने लगेंगे।
राजधानी भोपाल में सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में अभूतपूर्व एयर शो हुआ, जिसमें देश की वायुसेना के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर्स ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। लड़ाकू विमानों की गर्जना से भोपाल शहर और आसपास के इलाके गूंज उठे। शहरों और कस्बाई क्षेत्र की अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरूआत और उनका विस्तार भी इस वर्ष के दौरान दिखायी दिया।
वर्ष के दौरान दुखद घटनाएं भी हुयीं। फरवरी माह के तीसरे सप्ताह में सीधी जिले में एक भीषण सड़क हादसे ने उस समय 15 लोगों की जिंदगी ले ली, जब एक अनियंत्रित बड़े ट्राले ने सड़क किनारे खड़ी तीन बसों को टक्कर मार दी। इस वजह से 50 से अधिक लोग घायल भी हुए थे। बस सवार ग्रामीण पड़ोसी सतना जिले में आयोजित एक राजनैतिक कार्यक्रम में शामिल होकर लौट रहे थे और जलपान के लिए सीधी जिले में एक स्थान पर रुके थे। इसके बाद राज्य में वर्ष के दौरान कुछ और भी बड़े हादसे हुए, लेकिन जाते हुए वर्ष के अंतिम सप्ताह में बुरी खबर आयी और गुना जिले के हृदयविदारक हादसे ने 13 लोगों की जान ले ली और लगभग 15 यात्री घायल हो गए।
गुना जिले के बजरंगगढ़ थाना क्षेत्र में डंपर और बस की आमने सामने की टक्कर के बाद बस में आग लग गयी और 12 यात्री जिंदा जल गए। इस हादसे में डंपर का चालक भी मारा गया। बस सवार 15 यात्रियों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस हादसे के बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री डॉ यादव ने बेहद सख्त रवैया अपनाया और सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के तबादले कर दिए। इसके अलावा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) और गुना के मुख्य नगरपालिका अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। घटनास्थल पर दमकल वाहन देर से भेजने की शिकायत के चलते अधिकारी को निलंबित किया गया।
हादसों की दुखद खबर के बीच एक और समाचार खरगोन जिले से 09 मई को मिला, जब एक यात्री बस बोराड़ नदी में गिर गयी। इस वजह से 24 यात्रियों की मृत्यु हुयी और तीन दर्जन से अधिक घायल हुए। दुर्घटनाग्रस्त बस नदी पर बने पुल की रैलिंग तोड़ते हुए लगभग 50 फीट की गहरायी में गिरी। नदी में पानी लगभग नहीं के बराबर था और 15 यात्रियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। बाद में मृतकों की संख्या बढ़कर 24 हो गयी थी।
वर्ष के श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के पुनर्वास की महत्वाकांक्षी योजना को उस समय झटके भी लगे, जब कुल लगभग 18 चीतों में से कुछ की मौत की खबरें मीडिया में छायी रहीं। हालाकि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से वर्ष 2022 में लाए गए इन चीतों के कुनबे में वृद्धि हुयी और शावकों ने जन्म लिया। वन्यजीव विशेषज्ञ चीतों को भारत में फिर से बसाने की इस योजना पर बेहद बारीकी से नजर रखे हुए हैं और इसकी सफलता के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा यह राज्य “स्टेट टाइगर” का दर्जा बरकरार भी रखे हुए है और बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्तमान में राज्य में लगभग पांच सौ बाघ हैं। हालाकि कुछ क्षेत्रों में बाघ की मौत की खबरें भी अखबारों में छायी रहीं।

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