हाईकोर्ट ने मांगी प्रदेश के जजों की चल और अचल संपत्ति की जानकारी
हाईकोर्ट ने सभी न्यायिक अधिकारियों से उनकी चल-अचल संपत्ति की जानकारी मांगी है। अधीनस्थ न्यायालयों(subordinate courts) में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों(serving judicial officers) के साथ ही प्रतिनियुक्ति(deputation) पर कार्यरत न्यायिक अधिकारियों को 31 दिसंबर 2023 तक की स्थिति में अपनी संपत्ति की जानकारी निर्धारित प्रोफॉर्मा(prescribed proforma) में प्रस्तुत करने को कहा गया है।
प्रदेश में कार्यरत 496 न्यायिक अधिकारियों को 28 फरवरी तक अपनी चल-अचल संपत्ति(movable property) की जानकारी हाईकोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार विजिलेंस सुधीर कुमार के हस्ताक्षर से जारी आदेश में न्यायिक अधिकारियों को 31 दिसंबर 2023 की स्थिति में विस्तृत जानकारी देनी होगी।
क्या –क्या जानकारियां देनी होंगी
अचल संपत्ति में जमीन, मकान आदि की जानकारी देनी होगी। साथ ही बताना होगा कि उन्हें किस तरह प्राप्त किया गया। चल संपत्ति में जेवरात, बैंक में जमा राशि, शेयर, निवेश, एफडी, पीपीएफ, जीपीएफ, एनएसएस और अन्य रकम की जानकारी देनी होगी।
किसे कहते हैं अचल संपत्ति
ऐसी संपत्ति जो एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाई जा सकता है उसे अचल संपत्ति कहते हैं, जैसे- घर, कारखाना वगैरह।
किसे कहते हैं चल संपत्ति
ऐसी संपत्ति जिसे एक जगह से दूसरे जगह पर आसानी से ले जाया जा सके, उसे चल संपत्ति कहते हैं। चल संपत्ति के कुछ उदाहरण- आभूषण, लैपटॉप, पंखा,सामान्वा वाहन और अन्य।
चल और अचल संपत्ति में अंतर
ऐसी संपत्ति जो जमीन से नहीं जुड़ी होती यानी जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है उसे चल संपत्ति कहा जाता हैं। इसे चलयमान संपत्ति भी कहते हैं।
चल संपत्ति के लिए पंजीकरण की जरूरत नहीं होती है। जबकि अचल संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक है तो पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत इसका पंजीकरण जरूरी है।
चल संपत्ति को आसानी से बांटा जा सकता है जबकि अचल संपत्ति का विभाजन आसानी से नहीं किया जा है। क्योंकि इसको आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता है।
अचल संपत्ति को बिना वसीयत किये या बिना गिफ्ट या बिना बंटवारा किये किसी को नहीं दिया जा सकता है। जबकि चल संपत्ति को आसानी से किसी को भी दिया जा सकता है।