लाइफ स्टाइल

ज्‍यादा फोन चलाने से हो सकते हैं बीमार, दिमाग पर पड़ता असर

आज के समय में मोबाइल एक ऐसा हथियार (Weapon) है जो लगभग सभी लोगों के पास है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोबाइल का हमारे दैनिक जीवन में बहुत सा उपयोग है. कई मायनों में ये हमारे जीवन को सरल बनाता है, कुछ कामों को तो चुटकियों में कर देता है. लेकिन जैसा की हम जानते हैं हर पॉजिटिव चीज के साथ कुछ न कुछ नीगेटीव (positive, negative) भी होता है.

आज मोबाइल में ऐसे फीचर आ गए हैं जिसको बहुत सरलता से उपयोग किया जा सकता है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि इसकी आदत भी बहुत आसानी लगती है. अक्सर ऐसा होता है कि लोग बिना मतलब के भी फोन चलाते रहते हैं, रील देखते हैं. मोबाइल के एल्गोरिदम को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि फोन चलाने का आदत लगना बहुत आम बात है.

एक रिसर्च में पाया गया है कि आम तौर पर एक व्यक्ति दिन भर में 58 बार मोबाइल उठाता है. वहीं औसतन एक व्यक्ति का स्क्रीन टाइम दिनभर में 7 घंटे का है. बहुत से लोगों को ये मालूम होगा कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना सेहत के लिए हानिकारक होता है, लेकिन बहुत कम लोगों को ये मालुम होगा कि ये शरीर के लिए कितना घातक हो सकता है. ये न सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाता है. मोबाइल अधिक चलाने की वजह से स्लीप साइकिल खराब होता है, मानसिक तनाव होता है, सोचने समझने की शक्ति कम होती है, सिर दर्द होता है, पाचन क्रिया खराब होता है आदि.

डोपामाइन हार्मोन
मोबाइल कुछ लोगों के जीवन में इस कदर समय पर कब्ज कर चुका है कि सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल ही उठाते हैं. वो चेक करते हैं कि कोई मैसेज तो नहीं आया, किसी सोशल मीडिया का कोई नोटिफिकेशन तो नहीं आया, मेरे पोस्ट को कौन-कौन लाइक किया है?, कौन कमेंट किया है?… आदि आदि. लोग हर समय अपडेट रहना चाहते हैं, इसलिए ब्रेन बार बार मोबाइल छूने का सिग्नल देता है. ये ठीक वैसा ही है जैसे कुछ लोग क्रिकेट देखते समय एक-एक रन का अपडेट रखना चाहते हैं. दरअसल, ये सब करने पर हमारे दिमाग में रासायनिक प्रतिक्रिया(Chemical Reaction) होती है और डोपामाइन हार्मोन(Dopamine Hormone) रिलीज होता है. जब हमें किसी काम को करने में ख़ुशी मिलती है तो डोपामाइन रिलीज होता है. जिसकी वजह से उस काम को करने की और इच्छा होती है और धीरे-धीरे लत में बदल जाती है. इस लत की वजह से स्ट्रेस क्रोनिक स्ट्रेस में बदल जाता है.

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