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वायनाड में स्मृति की एंट्री, राहुल गांधी का खेल बिगाड़ेगीं स्मृति ईरानी !

केरल की वायनाड लोकसभा सीट देश भर में चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

2019 लोकसभा चुनाव से पहले देश के कम ही लोग इस सीट के बारे में जानते थे, लेकिन पिछले चुनाव में राहुल जब यहां से चुनाव जीतकर आए तो यह हाट सीट बन गई। इस बार फिर से राहुल चुनाव मैदान में हैं। बुधवार को उन्होंने नामांकन भी कर दिया। जबकि बीजेपी की फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उन्हें शिकस्त देने के मकसद से वीरवार को वहां ना सिर्फ रोड शो करने वाली हैं बल्कि बीजेपी प्रत्याशी के सुरेंद्रन के नामांकन में भी शामिल होंगी। अमेठी में राहुल गांधी को शिकस्त दे चुकीं स्मृति ईरानी दावा कर रही हैं कि इस बार उनकी पार्टी का प्रत्याशी राहुल गांधी को जरूर हराएगा। राहुल गाँधी ने वायनाड से ही चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों लिया?  पिछले चुनाव में भारी मतों से चुनाव जीतने वाले राहुल गांधी के सामने इस बार कैसा माहौल रहने वाला है? स्मृति ईरानी के वहां जाने से क्या प्रभाव पड़ने वाला है?  हम बताएँगे विस्तार से, साथ ही साथ यह भी बतायंगे कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद उसका प्रत्याशी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में क्यों है ?

केरल की बीस लोकसभा सीटों में से एक सीट है वायनाड।  वायनाड एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जो केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से घिरा हुआ है। यहां बता दें कि इस समय केरल और कर्नाटक में कांग्रेस की ही सरकार है जबकि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी इण्डिया ब्लॉक का हिस्सा है। ऐसे में एक बात आसानी समझी जा सकती है कि  पिछले चुनाव की तुलना में इस बार राहुल गांधी के लिए माहौल ज्यादा अच्छा है। पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने लगभग सवा चार लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था, जबकि पिछले चुनाव में केरल और कर्नाटक में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार नहीं थी। इस लोकसभा क्षेत्र को लेकर जातिगत समीकरणों का अलग-अलग ब्यौरा दिया जाता रहा है। कभी यह कहा जाता है कि यहाँ हिन्दू जयादा हैं, तो कभी कहा जाता है कि यहां मुस्लिम ज्यादा हैं, लेकिन ऐसे आंकड़े पूरे केरल राज्य के लिए होते हैं।

जहां तक वायनाड लोकसभ क्षेत्र की बात है तो यहां लगभग 49  प्रतिशत हिन्दू हैं जबकि पच्चास प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक हैं। इन अल्पसंख्यकों में से मुस्लिम 30  प्रतिशत और ईसाई 21 प्रतिशत हैं। वायनाड को वायल नाडु यानी धान की भूमि कहा जाता है। अभी यहां धान बोने का सीजन तो नहीं है लेकिन कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआई प्रत्याशी अपनी-अपनी फसल तैयार करने में लग गए हैं। बीजेपी की तरफ से स्मृति ईरानी फसलों की सिंचाई करने के लिए वीरवार को वायनाड पहुँच जाएंगी।  आंकड़ों के मुताबिक़ स्मृति ईरानी का प्रभाव यहां ज्यादा पड़ने की उम्मीद है नहीं।अगर राहुल गांधी का खेल कुछ बिगाड़ सकते हैं तो वह हैं, सीपीआई के प्रत्याशी एनी राजा। स्मृति ईरानी वायनाड में अपने दौरे के दौरान यह जरूर कह सकती है कि जो सीपीआई इण्डिया गठबंधन का हिस्सा है, उसका प्रत्याशी राहुल गाँधी के खिलाफ चुनाव मैदान में क्यों हैं? वह इण्डिया गठबंधन में तालमेल ना होने की बात कहकर वहां के वोटरों को संभवतः बरगलाने की कोशिश करेंगीं। लेकिन यह तय है कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार राहुल के पक्ष में माहौल ज्यादा अच्छा है। ऐसे में अगर राहुल गांधी यहां से फिर से चुनाव जीत जाते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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