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पेंच नेशनल पार्क: दुर्लभ प्रजाति का ब्लैक पैंथर देख रोमांचित हो उठे पर्यटक, जानें काले तेंदुए की असल कहानी

 मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में पेंच टाइगर रिजर्व में गुरुवार को दो साल बाद पुन: दुर्लभ प्रजाति के ब्लैक पैंथर (काला तेंदुआ) के दीदार हुए। ब्लैक पैंथर को देख वन्यजीवप्रेमी व पर्यटक रोमांचित हो उठे। डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि पर्यटक सुबह सफारी में सैर कर रहे थे, तभी उन्हें पेड़ पर बैठा ब्लैक पैंथर नजर आया। यह जंगल बुक के बघीरा जैसा लग रहा था।

दरअसल, ब्लैक पैंथर का जिक्र रुडयार्ड किपलिंग की किताब ‘द जंगल बुक’ हुआ था। इसमें मोगली नामक मुख्य किरदार के साथ ‘बघीरा’ नामक काला तेंदुआ भी था। पेंच टाइगर रिजर्व में यह काला तेंदुआ  इससे जुलाई 2020 में नजर आया था। इसके बाद 25 अगस्त 2022 को भी दिखा। तब खवासा वन परिक्षेत्र के अधिकारी राहुल उपाध्याय ने कहा था कि तेलिया जंगल में मादा तेंदुए के साथ नौ माह का शावक पेड़, पहाड़ अन्य क्षेत्रों में दिखता रहता है। जो चार साल से अधिक उम्र का हो चुका है।

आकर्षण का केंद्र बना ब्लैक पैंथर 
पेंच में ब्लैक पैंथर की कोई अगल ब्रीड नहीं है। बल्कि, इसे एक सामान्य मादा तेंदुए ने जन्मा है। अफसरों की मानें तो एक मादा तेंदुए ने पहली बार में दो शावक जन्मे था। इनमें एक सामान्य और दूसरा दुर्लभ काले रंग का शावक था। इस मादा बाघिन ने दूसरी बार जब तीन शावकों को जन्म दिया तो दो सामान्य और एक दुर्लभ काले रंग का शावक था। दूसरी बार में जन्मे काले तेंदुआ को सैलानी बघीरा (काला तेंदुआ) के नाम से पुकार रहे। पेंच राष्ट्रीय उद्यान के खवासा बफर क्षेत्र में यह काला तेंदुआ (बघीरा) सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसे देखने के लिए नासिक, मुंबई सहित महाराष्ट्र और बंगाल के कई शहरों से बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।

आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण बदला रंग 
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की मानें तो ब्लैक पैंथर भी अन्‍य सामान्य तेंदुओं की तरह होता है। यह कोई अलग से प्रजाति नहीं है। बल्कि, आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण इनका रंग काला है। ऐसे तेंदुओं की उपलब्‍धता घने और नमी वाले जंगलों में होती है। पेंच के फोटोग्राफर ने इस दुर्लभ काले तेंदुए के कई फोटो-वीडियो अपने कैमरे में कैद किए हुए हैं। पेंच पार्क के फेसबुक पेज व X एकाउंट पर भी काले तेंदुए का वीडियो पोस्‍ट किए गए हैं।

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