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परीक्षा पे चर्चा’ में बोले पीएम मोदी – छात्र मेरी परीक्षा ले रहे हैं और मुझे इसमें आनंद आता है

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को ‘परीक्षा पे परीक्षा’ पर चर्चा की शुरूआत करते हुए छात्रों से कहा कि शायद इतनी ठंड में पहली बार परीक्षा पर चर्चा हो रही है।

परीक्षा पे चर्चा फरवरी में करते हैं लेकिन विचार आया कि आप सबको 26 जनवरी का भी लाभ मिले। दरअसल इस कार्यक्रम में शामिल कई छात्र कर्तव्य पथ पर परेड देखने भी गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है, देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा ले रहे हैं और मुझे यह परीक्षा देने में आनंद आता है।

मदुरई केंद्रीय विद्यालय की छात्रा अश्विनी ने प्रधानमंत्री से परीक्षा के तनाव, दबाव और परीक्षा में अधिक अंक लाने के प्रेशर पर प्रश्न पूछा। इसी प्रकार अन्य छात्रों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यदि परीक्षा में उनके अच्छे अंक न आए तो वह अपने परिवार के प्रेशर को कैसे डील करें। प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि जैसे क्रिकेट में गुगली होता है यानी निशाना एक होता है और दिशा दूसरी होती है। प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि आप पहली ही बॉल में मुझे आउट करना चाहती हो।

प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए कहा कि परिवार के लोगों की आपसे अपेक्षा होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें कुछ गलत भी नहीं है। हालांकि पीएम मोदी ने कहा कि यदि परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। अभिभावकों को कई बार लगता है कि जब सोसाइटी में जाएंगे तो बच्चों के बारे में क्या बताएंगे, कभी-कभी माता-पिता छात्रों की स्थिति को जानने के बावजूद भी अपने सोशल स्टेटस को ध्यान में रखते हुए बच्चों के बारे में समाज में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और फिर घर में आकर बच्चों से ऐसी ही अपेक्षा करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के ऊपर लगातार अच्छे, और अच्छे अंक लाने के लिए दबाव बनाया जाता है।

प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि क्रिकेट का मैच देखते हुए आपने देखा होगा कि जब कोई खिलाड़ी खेलने के लिए आता है तो पूरा स्टेडियम चौका, छक्का चिल्लाता है। क्या खिलाड़ी दर्शकों की डिमांड के ऊपर चौके और छक्के लगाता है। नहीं वह वैसा नहीं करता। कोई कितना ही चिल्लाता रहे खिलाड़ी का ध्यान बॉल पर होता है और जैसी बॉल आती है वैसा ही खेलता है न कि दर्शकों के कहने पर। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र भी अपनी स्टडी पर फोकस करें किसी दबाव में न आएं।

प्रधानमंत्री ने छात्रों को आत्मनिरीक्षण करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप की क्षमता बहुत अधिक है और आप अपने आप का सही मूल्यांकन नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा मां-बाप को बच्चों पर पढ़ाई के लिए अधिक दबाव नहीं बनाना चाहिए लेकिन बच्चों को भी अपनी क्षमता से कम नहीं करना चाहिए।

हिमाचल की आरुषि ठाकुर ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यह बात समझ नहीं आती कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई कहां से शुरू करूं, मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैंने जो कुछ भी पढ़ा था मैं वह सब भूल गई हूं। कई अन्य छात्रों ने भी प्रधानमंत्री से पढ़ाई एवं परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट को लेकर प्रश्न पूछे।

प्रधानमंत्री ने कहा केवल परीक्षा के लिए ही नहीं बल्कि जीवन में भी हमें टाइम मैनेजमेंट के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों को कहा कि अक्सर काम का ढेर इसलिए हो जाता है क्योंकि जो काम करना था वह हमने सही समय पर नहीं किया। प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह दी कि विश्लेषण करना चाहिए कि हमें किस विषय को कितनी देर और कब पढ़ना है। उन्होंने कहा कि हमें जो विषय पसंद हैं या आते हैं हम उन्हीं में ज्यादा समय देते हैं और उन्हीं में खोए रहते हैं। उन्होंने कहा कि फ्रेश माइंड के साथ सबसे पहले उस विषय को पढ़ने का प्रयास करें जिसमें आपको कठिनाई आती है।

प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि यदि आप घर में अपनी मां के कार्य करने की शैली को देखें तो उससे भी आप टाइम मैनेजमेंट को सीख सकते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि पढ़ाई के लिए समय को सही तरीके से डिसट्रीब्यूट कीजिए।

उपयोगिता अनुरूप ही गैजेट पर बिताएं समय : परीक्षा पर चर्चा में पीएम मोदी

‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी से ऑनलाइन और स्मार्ट गेजेट्स को लेकर भी प्रश्न पूछे। छात्रों ने पूछा कि इस प्रकार के गैजेट और सोशल मीडिया के दौर में बिना भटके पढ़ाई पर कैसे ध्यान लगाएं। प्रधानमंत्री ने छात्रों को उत्तर देते हुए कहा कि पहले यह तय कीजिए कि आप ज्यादा स्मार्ट है या गैजेट। उन्होंने कहा कि गैजेट का सही उपयोग करना सीखें। प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि आप ऑनलाइन रील्स देखते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भारत में लोग औसतन 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। रील्स देखने वाले एक बार इसे देखना शुरू करते हैं तो फिर काफी देर तक बाहर नहीं आते। उन्होंने कहा कि गैजेट्स हमें गुलाम बना देते हैं हमें उनका गुलाम नहीं बनना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें खुद से यह तय करना चाहिए कि हम इन गैजेट के गुलाम नहीं बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें गैजेट पर उतना ही समय बिताना चाहिए जितना कि उनका उपयोग है। प्रधानमंत्री ने फास्टिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि हम जैसे फास्टिंग करते हैं वैसे ही हमें हफ्ते में कुछ दिन या दिन में कुछ घंटे ऑनलाइन गैजेट को लेकर भी फास्टिंग करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि क्या हम सप्ताह में 1 दिन डिजिटल फास्टिंग कर सकते हैं यानी कि 1 सप्ताह में 1 दिन डिजिटल ऑनलाइन साधनों की फास्टिंग की जाए।

प्रधानमंत्री ने परिवारों का जिक्र करते हुए कहा कि अब तो घर में ऐसा भी दृश्य को देखने को मिलता है कि सब एक साथ बैठे हैं और अपने अपने मोबाइलों में व्यस्त हैं। बात करने के लिए मां भी पिता को व्हाट्सऐप भेजती है। घर में भी एक हिस्सा ऐसा होना चाहिए जिसे हम कह सकें नो टेक्नोलॉजी जोन यानी कि वहां आना है तो कोई गजट नहीं लाना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा देखिए इससे आपको आनंद मिलेगा, आप महसूस करेंगे कि आप गैजेट के गुलाम नहीं हैं और गुलामी खत्म होगी तो आपको आनंद की अनुभूति होगी।

समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यंत्र है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि आलोचना लोकतंत्र के लिए शुद्धि यंत्र है। प्रधानमंत्री ने आलोचना को लोकतंत्र की एक शर्त भी बताया। दरअसल ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान कुछ छात्रों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि आलोचना को आप कैसे लेते हैं। विपक्ष आपकी निंदा करता है तो आप उसे कैसे लेते हैं। क्योंकि हमें समझ नहीं आता जब हमारी निंदा होती है तो हमें क्या करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि परीक्षा देने के बाद जब आप घर आते हैं और यदि पता लगता है कि आप का कोई जवाब सही नहीं है तो आप कहते हो कि यह प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस था। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि इसी तरह से आपके द्वारा पूछा गया यह प्रश्न भी आउट ऑफ सिलेबस है। हालांकि अपना जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां तक मेरी स्थिति है मैं मानता हूं कि आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यंत्र है।

लेकिन कभी-कभी यह होता है कि आलोचना करने वाला कौन है उस पर सारा मामला सेट हो जाता है। मान लीजिए आपके यहां कोई फैंसी ड्रेस कंपटीशन है। आपने कोई ड्रेस पहनी और आपका प्रिय दोस्त कहता है कि यह ड्रेस अच्छी नहीं लग रही। तो आपका एक रिएक्शन होगा, लेकिन कोई ऐसा स्टूडेंट है जो आपका मित्र नहीं है, उसको देखकर नेगेटिव वाइब्रेशन आती है और वह कहें कि क्या पहन कर आए हो, ऐसे पहनते हैं क्या, तो आपका रिएक्शन दूसरा होगा। क्योंकि जब कोई आपका अपना आपको सलाह देता है तो आप सुधार करते हैं। लेकिन जब कोई आपको न पसंद करने वाला नेगेटिव व्यक्ति ऐसी आलोचना करता है तो उनकी बातों को नजरअंदाज कर दीजिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, विश्लेषण करना पड़ता है, भूतकाल देखना होता है, भविष्य देखना पड़ता है। लेकिन आजकल शॉर्टकट का जमाना है। लोग आजकल आलोचना नहीं करते आरोप लगाते हैं। आरोप और आलोचना के बीच में बहुत बड़ी खाई है। हम आरोपों को आलोचना न समझें।

प्रधानमंत्री ने कहा आलोचना को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। आलोचना हमें जिंदगी निर्माण करने में काम आती है। वह कहते हैं कि यदि आपने किसी अच्छे मकसद के लिए काम किया है तो आरोपों की बिल्कुल चिंता मत कीजिए। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि मां-बाप आलोचना नहीं करते हैं। वह टोका-टोकी करते हैं और आपको जो गुस्सा आता है वह टोका-टोकी पर आता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं मां-बाप से आग्रह करूंगा कि अपने बच्चों की भलाई के लिए आप इस टोका टोकी से बाहर निकलिए।

गौरतलब है कि 15 फरवरी से दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने जा रही है। बोर्ड परीक्षाओं के तनाव से निपटने एवं उबरने के लिए प्रधानमंत्री छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं।

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