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भूकंप के बाद तुर्की और सीरिया में डरावना मंजर, लाशों के बीच मिल रही जिंदगी

तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के बाद लाशें निकाल रहे सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों के सामने कई चौंकाने वाली कहानियां सामने आ रही है। वैसे तो मंजर बेहद डरावना है, मलबें में लाशें दबी हैं, लेकिन मलबे के कई सुराखों से लोगों और बच्चों की सांसों की आवाजें सुनकर ये स्वयं सेवक उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। सिविल डिफेंस के इन कार्यकर्ताओं ने लाशों को निकालने के साथ कई लोगों की जिंदगी भी बचाई हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे हैं। भूकंप में अब तक 9500 मौतें हो चुकी हैं।

महिला कार्यकर्ता अतीफ नानौआ बताती हैं :- हम लोगों और सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों और घायलों को भोजन वितरित कर रहे थे, तभी हमने इस बच्चे को देखा नर्स ने कहा कि मरा नहीं था, उसका परिवार में वो अकेला बचा था। हमने उसे एक केला दिया और उसने ऐसे ही खा लिया। वो बहुत थका हुआ लग रहा था। वो बहुत प्यासा भी था। सभी लोगों की इस बच्चे से दोस्ती हो गई। वो उसके ठीक होने की दुआएं भी कर रहे हैं।

एक कार्यकर्ता ने यह वीडियो पोस्ट कर लिखा है :-ये बच्चे तीस घंटे से मलबे में फंसे हैं। ये दोनों भाई बहन हैं। बच्ची अपने पिता को पुकारते हुए रो रही थी। जब हमने इन बच्चों के देखा तो मलबे से निकाला। बच्चों का इलाज जारी है।

एक और दर्दभरी कहानी : अहमद अल मोमिन ने एक बच्चे का वीडियो पोस्ट किया है जिसको मलब से बचाया गया है। मोमिन ने लिखा है कि इस बच्चे को देखने के बाद मैं पिछले 24 घंटे से उबर नहीं पाया हूं। बच्चे के परिवार के सभी लोगों की भूकंप में मौत हो चुकी है। इस सीरियाई बच्चे को मलबे से बाहर निकाला तो उसने सबसे पहले पीने का पानी मांगा। वो बहुत थका हुआ था। लोग वहां अब ऐसे बच्चों के इलाज करवाने और उनके पालनहार बनने के लिए आगे आ रहे हैं।

राहत और बचाओ कार्य में लगे स्वयं सेवक इंसानों को ही नहीं हर जिंदा शख्स को देखकर उनकी जिंदगी को बचा रहे हैं। उनका कहना है कि मलबे में दबे हर प्राणी की हम जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हम सबकी जिंदगी के लिए दुआएं मांग रहे हैं। यहां का मंजर बहुत ही डरावना भी, लेकिन कई उम्मीद की किरणें भी दिखाई दे रही हैं।

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