बाल श्रम पर क्राई का बड़ा सर्वे, 45% परिवार की मदद के लिए बच्चों के काम करने के पक्ष में
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने बाल श्रम उन्मूलन दिवस 2023 को लेकर एक रैपिड असेसमेंट सर्वे किया। इसमें पाया कि 45 प्रतिशत लोगों को इस बात को लेकर आपत्ति नहीं है कि बच्चे यदि स्कूल जाते हैं तो उन्हें परिवार की जिम्मेदारियों में सहयोग करना चाहिए। 23 प्रतिशत को यह पता ही नहीं है कि काम करने वाले बच्चों को गंभीर बीमारियां हो सकती है। वहीं, 31 प्रतिशत को तो बाल श्रम को रोकने वाले कानून की जानकारी तक नहीं है।
पूरी दुनिया में 12 जून को बाल श्रम के खिलाफ दिवस के तौर पर मनाया जाता है। क्राई के स्वयंसेवकों ने सर्वे में पाया कि बाल श्रम को लेकर लोगों को जानकारी ही नहीं है। उन्हें इस समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक कानून और नियम पता ही नहीं है। क्राई ने राष्ट्रीय स्तर पर एक अभियान लॉन्च किया है, जिसकी थीम है- रोजगार देकर बच्चों की मदद मत करो। एक महीने चलने वाले इस अभियान में बाल श्रम को लेकर जागरुकता लाने की कोशिश होगी। क्राई-नॉर्थ की रीजनल डायरेक्टर सोहा मोइत्रा ने कहा कि किसी भी कारोबारी गतिविधि से बच्चों को जोड़ना उनसे बचपन छीन लेने जैसा है। लोगों को लगता है कि गरीब बच्चों को काम देकर वह कोई एहसान कर रहे हैं या उनके लिए अच्छा कर रहे हैं। भूखमरी और गरीबी से उन्हें बचा रहे हैं। इस मानसिकता को बदलना होगा। इस वजह से क्राई ने यह कैम्पेन शुरू किया है।
बाल श्रम पर यह सर्वे मध्य प्रदेश में भी किया गया। यह सर्वे कहता है कि 55 प्रतिशत लोगों को लगता है कि स्कूल जाने वाले बच्चों को भी काम नहीं करने देना चाहिए। हालांकि, 45 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं सोचते। इसी तरह 45 प्रतिशत लोगों को लगता है कि बच्चों को अपने पारिवारिक कारोबार में हाथ नहीं बंटाना चाहिए। वहीं, 32 प्रतिशत सोचते हैं कि वे ऐसा कर सकते हैं।
मनोरंजन में भाग लेने को लेकर मतभेद
बाल श्रम को लेकर एक बड़ा मुद्दा है मनोरंजन उद्योग से जुड़ा हुआ। क्या रियलिटी शो और टीवी शो या फिल्म में बच्चों को काम करने की इजाजत दी जानी चाहिए। इस पर सर्वे में कोई भी एक राय उभरकर नहीं आई। 39 प्रतिशत को लगता है कि मनोरंजन उद्योग में काम करने वाले बच्चों को भी बाल श्रम माना जाए। हालांकि, 34 प्रतिशत इसके खिलाफ भी रहे। 28 प्रतिशत कुछ कह नहीं सके।