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हाई कोर्ट ने मेथोडिस्ट चर्च के पांच पदाधिकारियों के विरुद्ध जांच के दिए निर्देश

जबलपुर । हाई कोर्ट ने फर्जीवाड़ा कर मिशन की बेशकीमती जमीन बेचने के आरोप को गंभीरता से लिया। इसी के साथ राज्य शासन व ईओडब्ल्यू को मेथोडिस्ट चर्च के पांच पदाधिकारियों के विरुद्ध जांच के निर्देश दे दिए। इन पदाधिकारियों में एमसीआई मप्र रीजनल कांफ्रेंस के बिशप एमवी क्रिस्टी, एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी विनय पीटर, जीपी कार्नेलियस, पास्टर आरके थियोडोर व रीजनल प्रापर्टी डायरेक्टर अनूप अल्बर्ट शामिल हैं। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि कथित अनियमितताओं के विरुद्ध उचित जांच करने के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता नेपियर टाउन निवासी सिलास राजेश लाल व नोएल पिंथ की ओर से अधिवक्ता विनय जी डेविड ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि षडयंत्रपूर्वक व नियमविरुद्ध तरीके से जमीन बेचने के मामले की जांच होनी चाहिए। 2010 में जनहित याचिका दायर कर बताया गया था कि यूनाइटेड चर्च आफ नार्दर्न इंडिया ने उनकी जमीन की देखरेख का दायित्व एमसीआई को सौंपा है। यह संपत्ति धार्मिक व सार्वजनिक कल्याण के उपयोग के लिए सुरक्षित है। लेकिन जिन्हें संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया, उन्होंने ही फर्जीवाड़ा कर बेशकीमती जमीन बेच दी। जनहित याचिका में बताया गया कि बनारसीदास भनोट वार्ड स्थित गोरखपुर में अलग-अलग खसरों की करीब दो एकड़ बहुमूल्य जमीन बिल्डर्स को बेच दी गई। आरोप लगाया गया कि पहले इस जमीन की फर्जी डीड तैयार की गई। यह कहा गया कि यूसीएनआई ने उन्हें बेचने का अधिकार दिया है, जबकि एमसीआई को इसका अधिकार नहीं है। आरोप लगाया गया कि एमसीआई के पदाधिकारियों ने सरकार व प्रशासन के अधिकारियों को गुमराह कर चर्च की जमीन को भूमाफियाओं को बेच दिया गया। बताया गया कि यूसीएनआई की जमीनें अहस्तांतरणी हैं। यह न किसी को बेची जा सकती है और न ही इनकी रजिस्ट्री हो सकती है। इस मामले में ईओडब्ल्यू को शिकायत भी गई थी। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

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