‘हिंदी टाइपिंग’ और ‘कम्प्यूटर’ नहीं आता तो अब नौकरी से होंगे बेदखल
सतना। जिन पटवारियों को कम्प्यूटर चलाना और हिन्दी टाइपिंग नहीं आती, उनकी सेवा समाप्त होगी। राज्य सरकार ने 2017 में नियुक्त पटवारियों के लिए कम्प्यूटर दक्षता प्रमाण पत्र अनिवार्य किया था। यह दक्षता नहीं रखने वालों को दो साल का अतिरिक्त समय दिया गया। कोरोनाकाल में यह अवधि एक साल के लिए बढ़ी। अब आयुक्त भू-अभिलेख ने कम्प्यूटर दक्षता और हिन्दी टाइपिंग न जानने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
संबंधित तहसीलों से ऐसे पटवारियों की जानकारी मांगी गई है। चूंकि हर 6 माह में सीपीसीटी परीक्षा होती है। इसमें पास होने वाले तहसील कार्यालय की स्थापना शाखा में अपना प्रमाण-पत्र जमा कराते हैं। दूसरी ओर राज्य में 11622 पटवारी हल्कों में तैनात अधिकांश पटवारियों को कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग करना तो दूर कम्प्यूटर चलाना तक नहीं आता।
लगा रखे हैं निजी कर्मी
अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 11 जिले में ही तैनात 4582 पटवारियों में 26.85% 1225 पटवारी कम्प्यूटर नहीं जानते। राज्य सरकार ने पटवारियों की कार्य प्रणाली व सेवा डिजिटल कर दी है। ऐसे में कम्प्यूटर से दूरी रखने वाले पटवारियों ने कई जिलों में समानांतर व्यवस्था बना ली। ग्वालियर, भिंड में उन्होंने कम्प्यूटर चलाने निजी कर्मी लगा रखे हैं। सरकार ऐसा करने की इजाजत नहीं देती, लेकिन पटवारियों का दावा है, इसके लिए वे अपनी सैलरी से तनख्वाह देते हैं। मामला जो भी हो, सच्चाई यह है कि बिना कम्प्प्यूटर ज्ञान के सरकार का जमीन और राजस्व संबंधी काम पूरी तरह डिजिटल करना फिलहाल मुश्किल है।