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भारत-नेपाल के बीच बनेगा रामायण सर्किट, पीएम मोदी बोले रिश्ते और सुपरहिट बनाएगें

दिल्ली. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड भारत पहुंचे, जिनकी मुलाकात पीएम नरेन्द्र मोदी से हुई. मुलाकात के दौरान दोनों के बीच हुई चर्चा में यह फैसला हुआ है कि भारत व नेपाल के बीच प्रस्तावित रामायण सर्किट के काम में और तेजी लाई जाएगी. इस मौके पर पीएम श्री मोदी ने कहा कि मैने व पीएम प्रचंड ने भारत व नेपाल की पार्टनरशिप को हिट से सुपरहिट बनाने के लिए और भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए है.

दोनों नेताओं ने भारत-नेपाल के बीच नेबरहुड फस्र्ट   पॉलिसी पर भी चर्चा की. इस दौरान हाइड्रो-पावर डेवलेपमेंटए एग्रीकल्चर व  कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर बात हुई. मीडिया से चर्चा करे हुए नेपाल के पीएम श्री प्रचंड ने कहा कि मेरी श्री मोदी से सीमा विवाद को लेकर भी चर्चा हुई. मैं उनसे अपील करता हूं कि इस मामले को द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जाए. वहीं पीएम प्रचंड ने प्रधानमंत्री मोदी को नेपाल आने आमंत्रित किया है. दोनों नेताओं के बीच हैदराबाद हाउस में बैठक हुई थी. नेपाल के पीएम प्रचंड ने आगे कहा कि मैं चौथी बार भारत दौरे पर आया हूं. मैं पीएम मोदी को भारत की सत्ता में 9 साल पूरे करने की बधाई देता हूं. उनकी लीडरशिप में भारत में इकोनॉमी सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ है. आज भारत व नेपाल के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं. इससे पहले पीएम प्रचंड ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, दोपहर बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगे. नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रचंड का ये चौथा भारत दौरा है.

इंदौर जाएगें-
3 जून को पीएम प्रचंड एक कार्यक्रम के लिए इंदौर जाएंगे. इसके बाद नेपाली  प्रधानमंत्री के महाकाली की नगरी उज्जैन जाने की भी संभावना है. नेपाल के पीएम  इससे पहले मई में भारत आने वाले थे लेकिन कैबिनेट विस्तार के चलते उन्होंने यात्रा टाल दी थी. नेपाल में परंपरा है कि जो भी नेता वहां का प्रधानमंत्री बनता है वो अपने विदेशी यात्राओं की शुरुआत भारत से ही करता है. हालांकि 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद जब प्रचंड प्रधानमंत्री बने थे तो वो सबसे पहले चीन पहुंच थे. पिछले साल दिसंबर में पुष्प कमल दहल प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे. इससे पहले वो 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 में प्रधानमंत्री बन चुके हैं.

प्रचंड चीन के करीबी माने जाते है-
नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड को चीन का करीबी माना जाता है. उन्होंने कई बार भारत विरोधी बयान भी दिए हैं. प्रचंड को 2009 में पीएम पद से इस्तीफा देने पड़ा था. जिसका कारण वे भारत को मानते हैं. प्रचंड ने नेपाल आर्मी चीफ रुकमंगड़ कटवाल को पद से हटा दिया था. भारत इसके खिलाफ था. भारत के गतिरोध के बीच उन्हें इस्तीफा देने पड़ा. इसके बाद उनकी नजदीकियां चीन से बढऩे लगीं. इस्तीफे के बाद वो कई बार चीन के निजी दौरे पर गए. प्रचंड ने कहा था कि भारत और नेपाल के बीच जो भी समझौते हुए है, उन्हें खत्म कर देना चाहिए. 2016-2017 में भी प्रचंड के हाथ में सरकार की कमान रही. इस दौरान उन्होंने कहा था नेपाल अब वो नहीं करेगा जो भारत कहेगा.

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