चंद्रमा से मिलता है इंसान को विवेक, जानिए किस स्थिति में मानसिक रोग बढ़ने की होती है संभावना
अंतरिक्ष में सभी ग्रह अपनी गति के अनुसार एक राशि से दूसरी राशि में विचरण करते हैं. इनमें चंद्रमा सबसे तेज गति से घूमता है और किसी भी राशि में सवा दो दिन तथा किसी नक्षत्र को 24 घंटे में पार कर लेता है. चंद्रमा भी सूर्य की तरह हमेशा मार्गी रहता है. भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई देता है और लगभग सभी ज्योतिष गणनाओं का केंद्र बिंदु चंद्रमा ही होता है.
चंद्रमा की स्थिति के आधार पर पंचांग
किसी भी पंचांग में तिथि, करण, योग, नक्षत्र, माह, मुहूर्त आदि का ज्ञान भी चंद्रमा की स्थिति के आधार पर किया जाता है. रात्रि के समय सभी ग्रहों की किरणें चंद्रमा द्वारा परिवर्तित हो कर ही मानव तक पहुंचती हैं इसलिए शास्त्रों में भी चंद्रमा के बल को प्रधानता दी गयी है. चंद्र की उच्च राशि वृष तथा नीच राशि वृश्चिक है और परमोच्च स्थिति में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और परम नीच स्थिति में पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर होता है. चंद्रमा जब नीच राशि में होता है उस समय भी शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक पूर्ण बलवान माने जाते हैं. इस राशि का अधिकार उत्तर दिशा पर होता है.
चंद्रमा की राशि
चंद्रमा की राशि कर्क मात्र कारक, स्वभाव से सरलता होती है साथ ही गति और मेहनत से कभी पीछे नहीं हटते हैं. इन्हें जो कार्य सौंपा जाए उसे पूरा न करने तक चैन की सांस नहीं लेते हैं. इस राशि का मूलतः नेचर लज्जा, बुद्धिमता से युक्त और चीजों को गंभीरता से भांप लेने की क्षमता से परिपूर्ण होता है. चंद्र का संबंध मन, बुद्धि, माता, दया, प्रसन्नता, क्रांति, यश, पुष्टि,उच्चकोटी का खाना-पान से है. इतना ही नहीं चंद्रमा का नींद सामान्य जन, स्त्री, सभी तरह के तरल पदार्थों, शरीर के दाहिने आंख पर पूरा अधिकार रहता है. चन्द्रमा चूंकि मन का कारक माना गया है, इसलिए जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा की विपरीत स्थिति हो जाए तो व्यक्ति मानसिक और जलीय रोग से पीड़ित हो सकता है. ग्रहों में चंद्रमा को विशेष स्थान मिला हुआ है.