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न्याय हासिल करने के लिए तकनीक का दायरा बढ़ाने की जरूरत : संविधान दिवस पर बोले CJI चंद्रचूड़

नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय हासिल करने से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए संस्थागत सुधारों के साथ तकनीक का दायरा बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि मुकदमेबाजी प्रक्रिया को सरल बनाना और इसे नागरिक केंद्रित बनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका अदालतों के कामकाज में सुधार के लिए तकनीक अपना रही है।

सीजेआई ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि न्याय हासिल करने के वास्ते अदालतों तक पहुंचने के बजाय नागरिकों तक पहुंचने के लिए अदालतों को फिर से तैयार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में ‘संविधान दिवस’ समारोह में सीजेआई ने कहा कि देशभर के न्यायाधीशों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता हासिल करने के संवैधानिक दृष्टिकोण पर विचार करना चाहिए। कानूनी पेशे और न्यायपालिका में हाशिए पर रहने वाले समुदायों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए।

सीजेआई ने कहीं ये मुख्य बातें

  • भारत जैसे बड़े देश में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि न्याय वितरण प्रणाली सभी के लिए सुलभ हो।
  • मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को सरल और नागरिक केंद्रित बनाने की जरूरत है।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायपालिका का तकनीक के साथ जुड़ाव व्यापक हो गया।
  • हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तकनीकी बुनियादी ढांचे को और मजबूत करें।
  • हमारा प्रयास न्याय तक पहुंच बढ़ाने का है। सुप्रीम कोर्ट अब ‘हाइब्रिड मोड’ में काम कर रहा है।
  • डिजिटल कोर्ट अदालतों को कागजरहित या डिजिटल बनाने के लिए भारतीय न्यायपालिका की एक हरित पहल है।

लोकतांत्रिक तरीके से काम जरूरी

कोई संस्था समय के साथ तभी फलती-फूलती है जब वह लोकतांत्रिक तरीके से काम करती है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि प्रधान न्यायाधीश के रूप में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, जिला न्यायपालिका के सदस्यों और संस्था से जुड़े सभी हितधारकों के साथ सहयोग और परामर्श करना उनकी जिम्मेदारी है।

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