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एमपी में बुजुर्गों को तीर्थ कराने वाली ट्रेनों के थमे पहिए, योजना को हरी झंडी दिखाने के लिए बजट का अभाव

मध्य प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन कराने के लिए फिलहाल सरकार के पास बजट का अभाव है. बीते दो महीनों से तीर्थ ट्रेनों के पहिए थमे पड़े हैं. आखिरी बार छह अक्टूबर को मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से पांच ट्रेनें तीर्थ दर्शन के लिए रवाना हुई थी, लेकिन इसके बाद से एक भी ट्रेन तीर्थ दर्शन के लिए रवाना नहीं हो सकी हैं. बताया जा रहा है कि बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन कराने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव है.

बता दें कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार की तीर्थ दर्शन योजना सबसे लोकप्रिय योजना है. इस योजना के माध्यम से प्रदेश की बीजेपी मिशन 2023 को फतह करना चाहती है. सरकार की योजना है कि साल 2023 के सितंबर महीने तक करीब 150 ट्रेनें तीर्थ दर्शन के लिए चलाई जाएं. इसके लिए सरकार ने करीब 200 करेाड़ रुपये के बजट का भी लक्ष्य बनाया है, लेकिन फिलहाल सरकार की यह लोकप्रिय योजना बीते दो महीने से ठप पड़ी है. बजट के अभाव में सरकार तीर्थ दर्शन ट्रेनों को हरी झंडी नहीं दिखा पा रही है.

एक ट्रेन में एक हजार यात्री
बता दें कि तीर्थ दर्शन के लिए चलाई जाने वाली तीर्थ दर्शन ट्रेनों में एक ट्रेन में एक हजार बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन का लाभ मिलता है. सरकार की योजना थी कि सितंबर महीने तक प्रदेश के 52 जिलों से करीब डेढ़ लाख से अधिक बुजुर्गों को तीर्थ कराया जाए. दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर प्रदेश से पांच ट्रेनें तीर्थ दर्शन के लिए रवाना की गईं थी, इसके बाद से ही इन ट्रेनों पर ब्रेक सा लग गया है.

तीर्थ दर्शन में यह तीर्थ शामिल
मध्य प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों के लिए इन तीर्थ स्थल को चुना है, इनमें केदारनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी तिरुपति, अजमेर, काशी, अमृतसर, रामेश्वर, सम्मेद शिखर श्रवण बेलगोला, और बेलगी चर्च नागपट्टिनम तीर्थ शामिल है. योजना के तीन साल बाद इसमें अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज, गंगासागर, सेंट बामस चर्च केरल और साथ ही कबीर का जन्म स्थान लहरतारा को भी शामिल किया गया है. धार्मिक न्याय और धर्मस्व विभाग के अफसर पुष्पा कुलेश ने बताया अगले महीने से शुरु हो रही है बुजुर्ग तीर्थ दर्शन यात्रा में बजट को लेकर कुछ जानकारी नहीं दे पाऊंगी, यह जानकारी आपको पीएस देगें.

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