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मानसिक बीमारी है डिल्यूजनल डिसऑर्डर, कहीं आपको भी तो नहीं होते ये 9 तरह के भ्रम

कई लोगों को शक करने की आदत होती है। शक करने से मन हमेशा अशांत रहता है। ज्यादा शक करना भी एक तरह की बीमारी है। यह एक मानसिक बीमारी है जिससे ग्रस्त व्यक्ति हर समय छोटी-छोटी बातों पर बेकार का शक करने लगता है। लोग कई बार बेवजह अपने परिवार, बच्चों या दोस्तों पर शक करने लगते हैं जिसकी कई वजहें हो सकती है। डिल्यूजनल डिसऑर्डर की वजह से भी व्यक्ति शक के जाल में फंस सकता है।

डिल्यूजनल डिसऑर्डर
डिल्यूजनल डिसऑर्डर की वजह से भी व्यक्ति शक के जाल में फंस जाते हैं। मनोचिकित्सक का कहना है कि डिल्यूजनल डिसऑर्डर यानी भ्रांति संबंध‍ी विकार से ग्रसित व्यक्ति शक के जाल में घुसता ही चला जाता है। ऐसी घटनाएं जो सुनने में असल लगती हैं, लेकिन घट‍ित नहीं हुई होती हैं, ऐसी तमाम घटनाएं वो बताता है। इस डिसऑर्डर का श‍िकार स्त्री व पुरुष कोई भी हो सकता है। डिल्यूजनल डिसऑर्डर का एक लक्षण भी हो सकता है। इस डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्त‍ि किसी एक मनगढंत वास्तविकता पर झूठा विश्वास करने लगता है। ड‍िल्यूजन एक अजीबोगरीब स्थ‍िति होती है। इसमें सामने वाले को बाहरी वास्तविकता पर एक अलग तरह का गलत विश्वास हो जाता है, भले ही उस वास्तविकता के गलत होने के सारे सबूत मौजूद हैं।

9 प्रकार का होता है डिल्यूजन डिसऑर्डर

डिल्यूजनल जेलेसी –
इसमें व्यक्ति को लगातार इस बात के ख्याल आते हैं कि उसका यौन साथी विश्वासघाती है. वो उसे धोखा दे रहा है।

बिजार-
एक भ्रम जिसमें ऐसी घटना शामिल है जो असंभव है, आम व्यक्त‍ि के समझ में भी नहीं आती है, और सामान्य जीवन से संबंधित नहीं है। जैसे किसी को लगता है कि उसने ईश्वर से बात की या उससे ब्याह कर लिया है। कई बार ऐसे लोग अंधविश्वास में बुरी तरह डूब जाते हैं।

इरोटोमैनिक-
एक ऐसा भ्रम है जिसमें लगता है कि उससे ऊंची स्थ‍िति वाला व्यक्त‍ि उसके प्यार में है. इससे संबंध‍ित घटनाएं वो क्र‍िएट करता है और उसे विस्तारित करता है.

भव्यता-
इसमें व्यक्त‍ि को खुद के भीतर एक अद्भुत शक्त‍ि, कोई अलौकिक ज्ञान या प्रत‍िभा होने का भ्रम होता है। उसे ऐसा भी लगता है कि किसी महान प्रतिभा जैसे देवी देवता या कोई सेलिब्र‍िटी उससे प्रभाव‍ित है।

परसेक्यूटरी-
इसमें व्यक्ति को लगता है कि कोई मेन कैरेक्टर चाहे वो घर का मुख‍िया हो कोई सामाजिक हस्ती वगैरह, उसके खिलाफ साजिश रची जा रही है, हमला किया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है, उसके जीवन में बाधाएं डाली जा रही हैं।

सोमैट‍िक-
इसमें व्यक्त को शारीरिक कार्य और अपनी संवेदनाओं को लेकर भ्रम की स्थ‍ित‍ि बनती है।

मिक्स्ड-
इस भावना में कोई एक थीम भ्रम का हिस्सा नहीं होती, बल्क‍ि एक से ज्यादा भावनाएं होती हैं।

थॉट ब्रोडकास्ट‍िंग-
यह भ्रम कि मेरे विचार दूसरों द्वारा प्रोजेक्ट किए जाते हैं। उसे लगता है कि जो वो सोच रहा है, उस विचार को कोई पहले ही जान जाता है।

थॉट इनसर्शन-
एक ऐसा भ्रम कि उसका अमुक विचार उसका अपना नहीं है, बल्कि किसी बाहरी स्रोत या संस्था द्वारा उसके दिमाग में डाला गया है।

सिज़ोफ्रेनिया की तुलना में यह दुर्लभ है। ये बाद की उम्र में शुरू होता है। सिजोफ्रेनिया में भी शक का लक्षण सबसे प्रबल दिखता है लेकिन डिल्यूजन विकार से ग्रसित लोग सामान्य जिंदगी जीते हैं। लेकिन उनके व्यक्त‍ित्व पर ये डिसऑर्डर बेहद खराब असर डालता है। लोग ऐसे लोगों से दोस्ती करने से बचते हैं, फिलहाल इसके सटीक कारण अभी तक पता नहीं चले हैं। इस तरह के मरीजों में डॉक्टर रोगी संबंध इतना बेहतर समझदारी भरा बनना मुश्क‍िल होता है। लेकिन मनोचिकित्सा को साइकोफार्माकोलॉजी के साथ जोड़कर उपचार की प्रतिक्रिया बेहतर होती है। इसमें दवाओं के साथ काउंसिलिंग की भी मदद ली जाती है।

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