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IND Vs BAN- बांग्लादेश से करो या मरो का मैच, जीतना चाहेगी टीम इंडिया

भारतीय टीम बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज के दूसरे वनडे में बुधवार को यहां मैदान में उतरेगी तो इस करो या मरो के मैच में उसे बड़े खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी. बांग्लादेश ने लक्ष्य का पीछा करते हुए सीरीज के पहले मैच में आखिरी विकेट के लिए 50 से अधिक रनों की अटूट साझेदारी कर शानदार जीत दर्ज की. भारतीय गेंदबाज पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट करने में विफल रहे लेकिन टीम को उनसे ज्यादा निराश शीर्ष क्रम के दिग्गज बल्लेबाजों ने किया.

भारतीय टीम ने पिछली बार 2015 में बांग्लादेश में द्विपक्षीय सीरीज खेली थी, जब महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम तीन मैचों की सीरीज 1-2 से हार गई थी और एकमात्र जीत तीसरे मैच में मिली थी.

स्पिनर शाकिब अल हसन (Shakib Al Hasan) और मेहदी हसन मिराज (Hasan Miraj) एक बार फिर भारतीय बल्लेबाजों पर 11 से 40 ओवर के बीच शिकंजा कसे रखते हैं तो शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम में इतिहास खुद को दोहरा सकता है.

इस दौरान लोकेश राहुल को छोड़कर सभी भारतीय बल्लेबाजों ने संघर्ष किया. राहुल ने 70 गेंदों पर 73 रन की पारी खेली. वनडे वर्ल्ड कप में अभी भी 10 महीने बाकी हैं लेकिन यह अभी तक साफ नहीं है कि भारतीय टीम का दृष्टिकोण क्या होगा. भारतीय टीम पिछले कुछ समय से बेखौफ होकर बल्लेबाजी करने की बात कर रही है लेकिन इस योजना को कम मैचों मे ही आजमाया गया है.

मीरपुर की पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी नहीं थी, लेकिन यह इतनी बुरी भी नहीं थी कि इसमें सिर्फ 186 रन बनाये जाए. इस सीरीज के लिए शुभमन गिल और संजू सैमसन जैसे युवाओं को आराम देने का तत्कालीन चयन समिति का निर्णय चौंकाने वाला रहा है. चयनकर्ताओं के पूर्व अध्यक्ष चेतन शर्मा द्वारा दिया गया तर्क यह था कि न्यूजीलैंड दौरे के बाद इन खिलाड़ियों को विश्राम दिया गया है.

भारतीय शीर्ष क्रम के खिलाड़ियों के साथ मुख्य समस्या यह है कि वह शुरुआत में बहुत ज्यादा डॉट गेंद खेल रहे हैं. बांग्लादेश के खिलाफ मैच में भारतीय टीम ने 42 ओवर की बल्लेबाजी में लगभग 25 ओवर डॉट गेंद खेली. बाकी के आठ ओवर को भी जोड़ दे तो टीम ने लगभग 200 गेंदों पर एक भी रन नहीं बनाया.

आधुनिक समय के क्रिकेट में जब इंग्लैंड हर तरह से सभी प्रारूपों में आक्रामक रवैया अपना रहा है तब भारतीय टीम एक कदम आगे और चार पीछे ले जा रही है. राहुल को विकेटीकीपिंग का जिम्मा सौंप कर टीम ने लचीलापन रुख अपनाने की जगह यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि राहुल और धवन दोनों को विश्व कप के अंतिम एकादश में कैसे फिट किया जाए.

भारत के तेजतर्रार खिलाड़ियों में शामिल सैमसन को इस सीरीज के लिए भी नहीं चुना गया था और अपने पिछले एकदिवसीय में 93 रन बनाने वाले ईशान किशन विशेषज्ञ कीपर-बल्लेबाज होने के बावजूद बेंच पर थे.

रजत पाटीदार और राहुल त्रिपाठी टीम में चुने गए हैं लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि टीम प्रबंधन इन युवाओं का इस्तेमाल कैसे करेगा. कोच राहुल द्रविड़ और और कप्तान रोहित शर्मा अगर कोई कड़ा कदम नहीं उठाते हैं तो टीम को फिर से संघर्ष करना पड़ सकता है.

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