आखिर क्यों मनाया जाता है छठ पर्व? जानिए इससे जुड़ी कुछ प्रचलित लोककथाएं
दिवाली के बाद बाजारों में छठ पर्व की रौनक देखी जा सकती है और लोगों ने इस पर्व की लगभग तैयारियां शुरू कर दी हैं. छठ पर्व के प्रति लोगों के मन में विशेष आस्था है और यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है. लेकिन इसकी शुरुआत दिवाली के चौथे दिन नहाय-खाय के साथ होती है. इसके बाद षष्ठी तिथि के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और इस व्रत को लेकर कई लोककथाएं भी प्रचलित हैं.
भगवान राम और सीता की कहानी
प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद माता सीता के साथ राम राज्य की स्थापना की. यह स्थापना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन की गई और इस दिन भगवान राम और माता सीता ने उपवास कर सूर्यदेव की अराधना की थी. इसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आर्शीवाद लिया था.
द्रौपदी ने की थी भगवान सूर्य की पूजा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी सूर्यदेव की अराधना की थी. द्रौपदी अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित रूप से सूर्य भगवान की पूजा करती थीं.
कर्ण ने भी की भी सूर्यदेव की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा की थी और कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. वह प्रतिदिन कई घंटों तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की अराधना किया करते थे और उन्हें अर्घ्य देते थे.