पाचन और पेट से जुड़ी 80% से ज्यादा समस्याएं सिर्फ तनाव की वजह से, जानें एक्सपर्ट्स ने क्या दिया हवाला
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Gastrointestinal) के लगभग 80 फीसदी मामलों के लिए तनाव जिम्मेदार है. गैस, कोलाइटिस और अमाइलॉइडोसिस जैसी विभिन्न पाचन समस्याओं को पैदा करने में तनाव अहम भूमिका निभाता है. इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (ISG), उत्तर प्रदेश चैप्टर के विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है. गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पुनित मेहरोत्रा ने कहा, ‘कई स्टडी में पाया गया है कि तनाव मस्तिष्क और आंत के बीच संचार को बाधित कर सकता है, जिससे विभिन्न प्रकार की पाचन समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यह आंत के संकुचन और विश्राम को परेशान करता है जो यह निर्धारित करता है कि भोजन आंतों के माध्यम से कितनी तेजी से आगे बढ़ता है. इससे विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं.’
इसके अलावा, उन्होंने कहा, ‘अंतःस्रावी तंत्र शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के लिए स्टेरॉयड हार्मोन का उत्पादन बढ़ाता है, जिसमें कोर्टिसोल भी शामिल है. यह पाचन को भी प्रभावित कर सकता है और आंतें किन पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘पुराने तनाव वाले व्यक्तियों में चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस), सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) और पेप्टिक अल्सर जैसे विकार होने की अधिक संभावना है.’
इस बीच, केजीएमयू के मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुमित रूंगटा ने एनएएफएलडी (गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग) के बढ़ते मामलों का हवाला दिया. रूंगटा ने कहा, ‘दो दशक पहले, यह उन मरीजों में होता था, जो शराब का सेवन करते थे या हेपेटाइटिस-B या C से पीड़ित थे. लीवर और जीआई कैंसर की घटनाएं बढ़ रही हैं और भारतीय आबादी में देखी जा रही हैं.’