ज्योतिष

सिर्फ एक शाप की वजह से नहीं होती ब्रह्मा जी की पूजा, दुनिया में यहां पर हैं इनका एकलौता मंदिर

हिंदू धर्म पुराणों व शास्त्रों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सुष्टि का रचियता कहा गया है. मान्यता है कि ये तीनों देवता सृष्टि के पालनकर्ता और संहारक हैं. आपने लगभग हर जगह भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंदिर देखे होंगे. साथ ही इनका विधि-विधान से पूजन ​भी व व्रत-उपवास भी किया जाता है. लेकिन अक्सर आपके मन यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर ब्रह्मा जी के लिए कोई समर्पित व्रत या पूजा क्यों नहीं है? यहां तक कि दुनिया में केवल एक ही जगह ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है. आइए जानते हैं ऐसी क्या वजह है जिसके चलते सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी का पूजन क्यों नहीं किया जाता?

ब्रह्मा जी को मिला यह शाप

पद्म पुराण में मौजूद एक कथा के अनुसार एक बार धरती पर व्रतनाश नामक राक्षस ने काफी उत्पाद मचा रखा था. उसके आतंक से परेशान होकर ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया और जिस समय ब्रह्मा जी व्रतनाश राक्षस का व्रत कर रहे थे तो उनके हाथ में मौजूद तीन कमल जहां गिरे वहां झीलें बन गईं. फिर इस जगह को पुष्कर नाम दिया गया.

फिर एक बार दुनिया के कल्याण के लिए ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ करने की योजना बनाई. यज्ञ में पत्नी के साथ बैठना होता है और उनकी पत्नी माता सरस्वती को किसी कारणवश यज्ञ में बैठने में देर हो गई. जिसकी वजह से यज्ञ का समय निकला जा रहा था इसलिए ब्रह्मा जी ने मृत्युलोक में एक कन्या से विवाह कर लिया. फिर जब सरस्वती देवी वहां पहुंची तो अपने पति के साथ किसी और स्त्री को देखकर उन्हें क्रोध आया. क्रोधित होकर उन्होंने अपनी ब्रह्मा जी को शाप दिया कि जगह को छोड़कर दुनिया में कहीं भी आपका पूजन नहीं किया जाएगा. यही वजह है राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर है और वहीं उनका पूजन होता है.

पुष्कर में हैं ब्रह्मा जी का मंदिर

राजस्थान में अजमेर से 12 किलोमीटर दूर पुष्कर तीर्थ मौजूद है और यहां विधि-विधान के साथ भगवान ब्रह्मा जी का पूजन किया जाता है. यहां चांदी की एक चौकी पर ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित है और वहीं एक और सावित्री और दूसरी ओर गायित्री देवी के विग्रह हैं. पद्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी पुष्कर में 10 हजार सालों तक रहे.

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