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मध्य प्रदेश में स्कूल की किताबों में बदलाव: छात्र अब पढ़ेंगे भगवान परशुराम, सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले की जीवनी

नए शिक्षा सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र से स्कूल शिक्षा विभाग पाठ्य पुस्तकों में बड़े बदलाव देखने को मिलेगा। अब नए सत्र में भगवान परशुराम के बारे में 8वीं के हिंदी विषय में पढ़ाया जाएगा।  जबकि 5वीं कक्षा में सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले से जुड़ प्रसंगों को जोड़ा गया है। सत्र 2025 से जनजातीय नायक रहे शंकर शाह और रघुनाथ शाह को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया है। बता दें, यह गोंड शासक थे और उन्होंने देश की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान किया था।

सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले को जानेंगे बच्चे
कक्षा 5वीं के पाठ्यक्रम में सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के प्रसंगों को शामिल किया गया है। दरअसल, फुले भारत के पहले स्कूल की संस्थापक थी, उन्होंने साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी। उन्होंने 19वीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल या विधवा-विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। सावित्रीबाई के पति ज्योतिबा फुले समाज सुधारक थे। उन्होंने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज संस्था का संगठन किया था।

परशुराम की एंट्री
प्रदेश में पिछली सरकार के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने परशुराम जयंती पर इस बात की घोषणा की थी कि भगवान
परशुराम का चरित्र स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अधिकारियों को जल्द निर्देश दिए गए हैं।
अब शिक्षा विभाग ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। नए शिक्षा सत्र से 8वीं के हिंदी विषय में भगवान परशुराम के चरित्र के बारे में पढ़ाया जाएगा।

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