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जबलपुर में पंचानन के प्राचीन मंदिर बता रहे महादेव की आराधना का महत्व

जबलपुर । दैत्यों को पराजित करने के साथ ही शैव मत की स्थापना के अंकुर फूटने लगे थे। महादेव के दैत्यों के विनाश के बाद नर्मदा तट पर शिव भक्ति की अविरल धारा आकार लेने लगी थी। भगवान त्रिपुरेश्वर की आराधना देवासुर संग्राम के बाद आरंभ हुई। त्रिपुर सुंदरी मंदिर प्रांगण में विराजमान त्रिपुरेशवर की ही तरह लम्हेटाघाट के निकट गोपालपुर में पशुपतिनाथ भगवान का वर्णन भी कई ग्रंथों में मिलता है। शिव का मूल रुद्र है इनमें मरुत आदि देवताओं के मिलने के बाद महादेव पशुपतिनाथ के स्वरूप में सैकड़ों वर्षों से आस्था का केंद्र बने हुए हैं। भेड़ाघाट के वरेश्वर महादेव की बात करें तो माता पार्वती के साथ विराजमान भोलेनाथ की ऐसी प्रतिमा बिरली ही दिखाई देती है। शास्त्रों के अनुसार शिवशक्ति का यह स्वरूप महादेव के विवाह के बाद का है। महाशिवरात्रि पर आइए जानते हैं रेवा तट के प्रतिष्ठित शिवालयों की महिमा।

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