कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेता भरेगें हुंकार
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बन गई है। औपचारिकता स्वरुप 20 मई को शपथ ग्रहण के बाद सरकार कामकाज करने लगेगी। लेकिन इस बार का शपथ ग्रहण समारोह कुछ ख़ास होने वाला है। कर्नाटक में मिली जीत से सिर्फ कांग्रेस ही खुश नहीं है बल्कि विपक्षी पार्टिया भी बहुत खुश हैं
उन्हें लगता है कि इस जीत के बाद विपक्ष को एकजुट करने की जो पहल शुरू हुई थी उसमें तेजी आएगी और सभी विपक्षी नेता नई ऊर्जा के साथ इस काम में लग जाएंगे। कुलमिलाकर शपथ ग्रहण समारोह के मंच के जरिए देश की जनता और भाजपा को यह बताने की कोशिश होगी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष मिलकर इसी तरह की जीत दर्ज कराएगा जैसा कि कर्नाटक में मिली है। हालांकि 2018 में भी वहां ऐसा ही एक मंच बना था, जिस पर विपक्षी नेताओं की भरमार थी।
कर्नाटक के कांतीरवा स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां चल रही हैं। बैंगलोर स्थित इस स्टेडियम में तैयारियों का जायजा लेने खुद डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार पहुंचे थे। उन्होंने बड़ी ही बारीकी से एक-एक चीजों का मुयायना किया। इस सपथ ग्रहण समारोह में जिन नेताओं को बुलाना है उन सबके नाम लगभग फ़ाइनल हो गए हैं। इनमे मुख्य रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ,बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ,महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ,तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम् के स्टालिन ,पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ,वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ,सीपीआई महासचिव डी राजा ,सीपीआई मार्क्सवादी के सीताराम येचुरी ,एमएनएम् प्रमुख कमल हासन, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आदि हैं। हालांकि निमन्त्रण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को भी भेजा गया है।
जितने भी नेता इस समारोह में शामिल हो रहें हैं, अगर उनके राज्यों की बात करें तो लगभग 174 लोकसभा सीटें इनके राज्यों से आती हैं। यानि यहाँ से कम से कम इतनी लोकसभा सीटों को जीतने का मंत्र लेकर विपक्ष के नेता इस समारोह से विदा लेंगे। हालांकि इसके अलावा भी लोकसभा की ऐसी सीटें हैं, जहां इस समय कांग्रेस की सरकारें हैं। मसलन राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल। अगर इन्हे जोड़ दें तो यह सीटें बढ़कर 214 हो जाएंगी।
विपक्ष इस समरोह के जरिए केंद्र की सरकार को एक सन्देश भी देना चाहता है। कर्नाटक में मिली जीत के बाद विपक्ष की जो पार्टियां कांग्रेस से दूरी बनाना चाह रही थी, अब वह भी करीब आने की कोशिश करने लगी हैं। हालांकि विपक्ष एकजुट होने की बात तो कर रह है, लेकिन विपक्षी एकता का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है। शुरू- शुरू में तो सब पार्टियां एक हो जाती हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद को लेकर इनके बीच की दूरियां बढ़ने लगती है। विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों ने एकजुट होने की बात कर दी है, लेकिन प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को लेकर अभी तक कोई भी खुलासा नहीं हो पाया है। लोकसभा चुनाव पूर्व विपक्षी पार्टियों को पीएम उम्मीदवार को लेकर खुलासा करना ही पड़ेगा।
कर्नाटक में मिली जीत के बाद अब राहुल गाँधी का कद और ज्यादा बढ़ गया है, ऐसे में संभावना जताई जा सकती है कि विपक्ष की अन्य पार्टियां अब कंग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का मन बना लें। संभव है कि विपक्ष की सभी पार्टियां कांग्रेस के ही किसी नेता के नाम पर ही सहमति बना लें। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह होगा कि कांग्रेस की तरफ से वह कौन सा नेता होगा जो प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा। फ़िलहाल 20 मई, विपक्षी पार्टियों के लिए बहुत अहम् होने वाला है। अब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि विपक्षी पार्टियों के नेता इस मंच से कितनी ऊर्जा लेकर जाते हैं, और विपक्षी एकता की पहल को कब अमलीजामा पहनाते हैं।