बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों को चुनौती देने संबंधी मामले की संविधान पीठ में सुनवाई से अलग नहीं होंगे। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया और कहा कि मैं मामले की सुनवाई से अलग नहीं हट रहा हूं।
किसान संगठनों ने मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति मिश्रा के शामिल होने पर विरोध किया है, उनकी दलील है कि वह पिछले साल फरवरी में शीर्ष अदालत की तरफ से सुनाए गए फैसले में पहले ही अपनी राय रख चुके हैं।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट शामिल हैं। मामले से जुड़े पक्षों को संविधान पीठ ने कानूनी प्रश्न बताने को कहा है जिन पर अदालत अपना फैसला सुनाएगी। यह न्यायालय कानून में उचित मुआवजे और पारदर्शिता पर सुनवाई करेगी।