लाइफ स्टाइल

World Cancer Day: इस तरह के फूड्स बढ़ाते हैं ओवेरियन और स्तन कैंसर का खतरा, स्टडी में खुलासा

एक नई स्टडी में पाया गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और कैंसर में गहरा रिश्ता है। ईक्लीनिकल मेडिसिन में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के 1,97,000 से ज़्यादा वयस्कों के डेटा का विश्लेषण करीब 10 साल तक किया गया। जिसमें पाया गया कि कैंसर का जोखिम और कैंसर से जुड़ी मौतों के पीछे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की भी भूमिका है। जैसे-जैसे एक व्यक्ति की डाइट में इस तरह के खाने की मात्रा बढ़ती है, वैसे ही कैंसर का ख़तरा भी बढ़ता है।

रिसर्च के ऑथर, डॉ. एज़्टर वामोस ने बताया कि स्टडी बताती है कि अगर हम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स को हम अपनी लाइफस्टाइल से दूर रखेंगे, तो इससे कैंसर का ख़तरा भी कम होगा। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स खाने से सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचते हैं, जिसमें मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज़ का जोखिम शामिल है। लोगों को पता होना चाहिए कि उनका ज़्यादा सेवन किस तरह सेहत के लिए ख़तरा पैदा करता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की कैटगरी में क्या आता है?
नाश्ते में खाए जानें वाले सीरियल्स, फ्रोज़न पिज़्ज़ा, रेडी टू ईट मील्स और सोडा वाली ड्रिंक्स का सेवन कैंसर के ख़तरे को बढ़ाने का काम करता है। खासतौर पर शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे ओवेरियन और स्तन कैंसर का ख़तरा बढ़ सकता है। कई प्रोडक्ट्स ऐसे भी होते हैं, जिनकी प्रोसेसिंग मात्रा मध्यम होती है, जैसे- चीज़, सॉल्टेड पीनट बटर, पास्ता सॉस। लेकिन, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की लत लग जाती है, उनमें आर्टिफीशियल स्वाद, रंग, स्वीटनर और प्रिज़र्वटिव्ज़ होते हैं।

यानी इन फूड्स के स्वाद, टेक्चर को बदला जाता है, जिसमें हॉट डॉग्ज़, डोनट्स, मैकरोनी एंड चीज़, मफिन्स, फ्लेवर्ड योगर्ट आदि शामिल हैं। किसी भी प्रोडक्ट के लेबल पर अगर सामग्री की लंबी लिस्ट है, तो समझ जाएं कि यह अल्ट्रा-प्रोसेस्ड है। साथ ही इनमें कैमिकल्स के भी कई नाम होते हैं। उदाहरण के तौर पर, कई प्रोडक्ट्स पर लोगों को गुमराह करने के लिए चीनी की जगह ‘राइस सिरप’ लिखा जाता है।

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