क्या आप भी पिलाते हैं बच्चे को प्लास्टिक की बोतल से दूध? सेहत के लिए बहुत खतरनाक
प्लास्टिक बोतलें सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि बार बार एक ही प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना भी सेहत के लिए ठीक नहीं है। ज्यादातर लोग अपने छोटे बच्चों को प्लास्टिक की बोतलों में दूध पिलाते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में बिक रही बच्चों की दूध की बोतल में केमिकल होता है। यह बात एक रिसर्च से सामने आई है। दरअसल, बच्चों की प्लास्टिक की बोतलों में एक खास किस्म का केमिकल होता है। इसका केमिकल का नाम बिस्फेनॉल-ए है जो बच्चों की दूध के बोतल में किये रिसर्च के दौरान पाया गया। यह केमिकल बच्चों में अलग-अलग तरह की बीमारियों को जन्म देता है।
रिपोर्ट में हुए ये खुलासे:
अलग-अलग हिस्सों से एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर दिल्ली आधारित संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया था कि देश के बाजार में धड़ल्ले से बिक रही दूध की बोतल और सिपर बच्चों के लिए सेफ नहीं हैं। बीते 4 साल में दूसरी बार जारी की गई इस स्टडी में साफ किया गया है कि बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
गले में हो सकती है सूजन
स्टडी के अनुसार, ऐसी बोतलों से बच्चों को लगातार दूध पिलाने से बच्चे के गले में सूजन आ जाती है। इससे उन्हें उल्टी दस्त भी हो सकते हैं। इससे बच्चों को डायरिया भी हो सकता है। पॉली कार्बोनेट से बनी बेबी बॉटल पर बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) ने 2015 में ही रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद यह अब भी इंडियन मार्केट में उपलब्ध है और बच्चों की बीमारियों का एक बड़ा कारण बन रही है। इसको लेकर अभी कोई कानून न होने का फायदा बहुत कंपनियां उठा रही है और नन्हे मासूमों को इसका शिकार होना पड़ रहा है।
केमिकल चला जाता है शरीर में
बच्चों के लिए हमेशा मेडिकेडेट बोतल का इस्तेमाल करें। गुणवत्ता वाली बोतलें मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होती हैं। बता दें कि सस्ती और घटिया कंपनी वाली बोतलों को भी केमिकल की कोटिंग कर के उन्हें मुलायम रखती है। साथ ही बोतल लंबे समय तक खराब नहीं होती है। जब बोतल में गर्म दूध या पानी डालकर बच्चे को पिलाया जाता है। तो यह रसायन भी घुलकर बच्चे के शरीर में चला जाता है और शरीर में जाने के बाद इस रसायन से पेट और आंतों के बीच का रास्ता बंद हो जाता है। जिससे कभी-कभी जान का भी खतरा बन जाता है। यही नहीं काफी दिनों तक दूध के सहारे शरीर में रसायन पहुंचने के कारण ह्रदय, गुर्दे, लिवर और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।